तमिलनाडु: राज्यपाल द्वारा लौटाए गए सभी विधेयकों को विधानसभा ने दोबारा पारित किया
क्या है खबर?
तमिलनाडु में राज्यपाल और सरकार के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब राज्य सरकार ने राज्यपाल द्वारा वापस लौटाए गए सभी विधेयकों को दोबारा पारित कर दिया है। इसके लिए आज विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था।
अब इन सभी विधेयकों को दोबारा मंजूरी के लिए राज्यपाल आरएन रवि के पास भेजा जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्यपाल के प्रति नाराजगी भी जाहिर की।
बयान
स्टालिन ने राज्यपाल पर साधा निशाना
विधानसभा में बोलते हुए स्टालिन ने कहा, "यह राज्यपाल का कर्तव्य है कि वह विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को सहमति दे। यदि उनके कोई प्रश्न हैं तो वह इसे सरकार के समक्ष उठा सकते हैं। राज्यपाल ने अपनी निजी सनक के कारण विधेयकों को लौटाया है। विधेयकों को मंजूरी नहीं देना अलोकतांत्रिक और जनविरोधी है।"
स्टालिन ने इस दौरान केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो राज्यपालों के जरिए सरकार को निशाना बना रही है।
विधेयक
राज्यपाल ने लौटाए थे 10 विधेयक
विधानसभा द्वारा पारित किए गए 10 विधेयकों को राज्यपाल ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया था और दोबारा विधानसभा को लौटा दिया था। राज्यपाल ने इसके पीछे वजह भी नहीं बताई थी।
इनमें से ज्यादातर विधेयक राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों से संबंधित थे। एक अन्य विधेयक में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (AIADMK) के पूर्व मंत्रियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का प्रावधान था। राज्यपाल के पास कुल 12 विधेयक लंबित हैं।
मंजूरी
राज्यपाल को अब विधेयकों को मंजूरी देनी होगी
संविधान के अनुच्छेद 200 के अनुसार, अगर सदन में विधेयकों को फिर से पारित किया जाता है और मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाता है तो वह इस पर रोक नहीं लगा सकते। इसका मतलब हुआ कि राज्यपाल को अब इन विधेयकों को मंजूरी देनी ही होगी।
मुख्यमंत्री स्टानिल ने भी सदन में तमिलनाडु विधानसभा के नियम 143 का जिक्र करते हुए कहा कि सदन विधेयकों पर पुनर्विचार कर सकती है।
फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल को लगाई थी फटकार
तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है।
इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था, "अनुच्छेद 200 के प्रावधान के तहत यदि राज्यपाल विधेयक को लेकर सहमत नहीं है तो उसे 'जितनी जल्दी हो सके' एक संदेश के साथ वापस लौटा दे, जिस पर सदन पुनर्विचार कर सकता है। यदि यह सदनों द्वारा पारित हो जाता है तो राज्यपाल अपनी सहमति को रोक नहीं सकते। ये गंभीर चिंता का विषय है।"
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
तमिलनाडु के अलावा पंजाब और केरल की सरकारों का भी राज्यपाल से विवाद चल रहा है।
20-21 अक्टूबर को पंजाब सरकार द्वारा बुलाए गए विधानसभा सत्र को राज्यपाल ने असंवैधानिक बताया था। इसके बाद पंजाब सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्यपाल को फटकार लगाते हुए कहा था कि वे आग से खेल रहे हैं।
केरल सरकार ने भी राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।