सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज चैनल मीडियावन से प्रतिबंध हटाया, कहा- स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र के लिए जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम न्यूज चैनल मीडियावन से प्रतिबंध हटा दिया है। कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सुरक्षा के मद्देनजर मीडियावन के प्रसारण पर केंद्र के फैसले को बरकरार रखा गया था। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सुरक्षा कारणों की वजह से मंजूरी देने से इनकार करने के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मीडियावन के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया था।
राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर लगा था प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने चैनल पर राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर प्रतिबंध लगाया था। सरकार ने इसके पीछे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC), न्यायलय और सरकार की आलोचना जैसे मुद्दों पर चैनल की रिपोर्टिंग को वजह बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चैनल के लाइसेंस के नवीनीकरण से इनकार करने के लिए ये ठोस मुद्दा नहीं है और ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत मिले अधिकार का हनन है।
4 सप्ताह के भीतर लाइसेंस रिन्यू करने का आदेश
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की खंडपीठ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर चैनल को नवीनीकरण लाइसेंस जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आदेश में कहा, "राज्य नागरिकों के अधिकारों से वंचित करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा की दलील का उपयोग कर रहा है। यह कानून के शासन के साथ असंगत है। राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों की मात्र भागीदारी राज्य को निष्पक्ष रूप से कार्य नहीं करने देगी।"
स्वतंत्र प्रेस मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा, "प्रेस का कर्तव्य है कि वह सत्ता से सच बोले और नागरिकों को तथ्यों के बारे में सूचित करे। सरकार की नीतियों के खिलाफ चैनल के आलोचनात्मक विचारों को प्रतिष्ठान विरोधी नहीं कहा जा सकता। स्वतंत्र प्रेस मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है। सरकार की नीतियों की आलोचना को अनुच्छेद 19(2) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाई गई पाबंदियों से किसी भी तरह नहीं जोड़ा जा सकता।"
सीलबंद लिफाफे में जानकारी देने पर केंद्र को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय द्वारा चैनल को मंजूरी देने से इनकार करने के कारणों का खुलासा न करने पर भी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में केवल न्यायालय को वजह बताना चैनल को अंंधेरे में रखने जैसा है और इससे कामकाज की साफ-सुथरी और पारदर्शी व्यवस्था पर असर पड़ता है। कोर्ट ने ये भी कहा कि इससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत और निष्पक्ष कार्यवाही के अधिकार का उल्लंघन हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
31 दिसंबर, 2022 को सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मीडियावन चैनल का लाइसेंस रिन्यू करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद चैनल का प्रसारण बंद हो गया। फरवरी, 2022 में केरल हाई कोर्ट ने भी चैनल पर रोक हटाने से इनकार कर दिया था। 15 मार्च, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर चैनल पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था। बता दें कि मीडियावन चैनल का कामकाज जमात-ए-इस्लामी नामक संस्था संभालती है।