
निर्मला सीतारमण ने कहा- अब राज्यों को नहीं मिलेगा विशेष श्रेणी का दर्जा
क्या है खबर?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा है कि अब राज्यों को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अब किसी भी राज्य की इस तरह की मांग पर विचार नहीं करेगी।
केंद्र के इस फैसले से बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों को बड़ा झटका लगा है, जो काफी समय से इस दर्जे की मांग कर रहे हैं।
आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
बयान
वित्त आयोग की सिफारिशों का दिया हवाला
वित्त मंत्री से जब पूछा गया कि क्या केंद्र विशेष श्रेणी के लिए ओडिशा की मांग पर विचार करेगा तो उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने कहा है कि विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता।
जब उन्हें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का उदाहरण दिया गया तो उन्होंने कहा कि वित्त आयोग ने साफ कर दिया है कि अब विशेष राज्यों का दर्जा और नहीं दिया जाएगा।
बता दें कि इन दोनों राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा मिला था।
मांग
लंबे समय से मांग कर रहा है ओडिशा
गौरतलब है कि विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्यों को अन्य सुविधाओं के साथ केंद्रीय योजनाओं का 90 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार देते है, जबकि बाकी राज्यों को 60 प्रतिशत खर्च दिया जाता है।
ओडिशा पिछले काफी समय से इसके नियमों में बदलाव कर खुद को विशेष श्रेणी देने की मांग कर रहा है। इसके पीछे ओडिशा ने तर्क दिया है कि वह नियमित अंतराल पर प्राकृतिक आपदाएं झेलता आया है।
मांग
हाल ही में उठी थी ओडिशा को लेकर मांग
इसी महीने संसद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बीजू जनता दल के सांसद सस्मित पात्रा ने यह मुद्दा उठाया था।
उन्होंने कहा था कि जब भी ओडिशा में कोई चक्रवात आता है तो घर और फसलें नष्ट हो जाती हैं। जब भी ऐसी आपदा आए तो केंद्र सरकार को ओडिशा को तीन साल के लिए विशेष ध्यान वाला राज्य बनाना चाहिए और सरकारी योजनाओं के लिए 90 प्रतिशत खर्च देना चाहिए।
मांग
बिहार भी मांग रहा विशेष श्रेणी का दर्जा
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी पिछले साल अगस्त में नीति आयोग की बैठक में ऐसी मांग उठा चुके हैं।
ओडिशा के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पिछले काफी समय से विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं। पिछले साल नवंबर में उन्होंने बिहार और अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा न देने के कारण केंद्र सरकार की आलोचना की थी।
बिहार की अन्य पार्टियां भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर चुकी हैं।
मापंदड
क्या थे विशेष श्रेणी राज्य के मापदंड?
पहले पहाड़ी इलाके और दुर्गम क्षेत्र, कम घनत्व वाली आबादी, अधिक जनजातीय आबादी, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं या सामरिक क्षेत्र में शामिल राज्यों, आर्थिक और आधारभूत सरंचना में पिछले राज्यों और राज्यों की आय की प्रकृति निश्चित न होने और सीमित संसाधनों वाले राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा मिलता था।
फिलहाल अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोर, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा समेत 11 पहाड़ी राज्यों को यह दर्जा मिला हुआ है।
जानकारी
विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा मिलने का फायदा क्या?
इन राज्यों को केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाली राशि में 90 प्रतिशत अनुदान और 10 प्रतिशत कर्ज होता है। यहां टैक्स में कई प्रकार की रियायतें होती हैं और निवेश करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है।