सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका को किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने आज जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने परिसीमन आयोग और विधानसभा सीटों में बदलाव की प्रक्रिया को भी वैध ठहराया। याचिका में जम्मू-कश्मीर की विधानसभाओं और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन के लिए गठित परिसीमन आयोग के फैसले को चुनौती दी गई थी। अनुच्छेद 370 के तहत मिलने वाला जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद ये परिसीमन किया गया था।
याचिकार्ताओं ने क्या कहा था?
श्रीनगर के याचिकाकर्ताओं हाजी अब्दुल गनी खान और मुहम्मद अयूब मट्टो ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर के परिसीमन आयोग के फैसले को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था कि परिसीमन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 63 और संविधान के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330, 332 के खिलाफ है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह परिसीमन संवैधानिक रूप से वैध नहीं है क्योंकि 2026 से पहले देश में कहीं भी पुनर्निर्धारण या परिसीमन पर रोक है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में परिसीमन पर सुरक्षित रखा था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 1 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर में परिसीमन और विधानसभा सीटों के बदलाव के खिलाफ दाखिल याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार ने कोर्ट के सामने कहा था कि संवैधानिक रूप से विधानसभा सीटों का संख्या को पुनर्गठित किया गया है और इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो चुका है। बता दें कि कश्मीर में 1995 के बाद कोई परिसीमन नहीं हुआ था और जम्मू-कश्मीर में 2019 से पहले परिसीमन अधिनियम लागू नहीं था।
कोर्ट की पीठ ने क्या फैसला सुनाया?
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की पीठ ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को परिसीमन और विधानसभा सीटों में बदलाव करने का पूरा अधिकार है और सरकार ने अपने अधिकारों का उचित प्रयोग किया है। पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड एक और तीन के तहत शक्ति के प्रयोग का अनुमोदन नहीं माना जाएगा और यह विषय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित याचिकाओं का विषय है।
क्या है परिसीमन का पूरा मुद्दा?
केंद्र सरकार ने मार्च, 2020 में परिसीमन अधिनियम, 2002 की धारा तीन के तहत जम्मू-कश्मीर के परिसीमन की अधिसूचना जारी की थी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। यह आयोग अपने फैसला सुना चुका है और इसके बाद अब राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। लद्दाख के जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद इस परिसीमन की जरूरत महसूस हुई थी।
नए परिसीमन में क्या-क्या हुआ है?
नए परिसीमन में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 की गईं, जिसमें 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) को सौंपी गई हैं, जबकि लोकसभा सीटें पांच ही रहेंगी। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में अब 83 की जगह 90 विधानसभा सीटें हो जाएंगी, जिसमें जम्मू क्षेत्र में 43 और कश्मीर घाटी में 47 सीटें हैं। इसके अलावा आयोग ने यह सिफारिश भी की है कि POK से शरणार्थियों और दो कश्मीरी प्रवासियों को विधानसभा में नामित किया जाए।