सुप्रीम कोर्ट में दो और नए जजों ने ली शपथ, सभी 34 पद भरे
सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को दो और नए जज मिल गए, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या कुल स्वीकृत पदों (34) के बराबर हो गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेश बिंदल और गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार को शपथ दिलवाई। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह भी पांच नए जजों ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ ली थी।
कौन हैं जस्टिस राजेश बिंदल?
जस्टिस राजेश बिंदल अक्टूबर, 2021 से इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। जस्टिस बिंदल ने 1985 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से LLB की पढ़ाई पूरी की थी, जिसके बाद उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। उन्हें 2006 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। जस्टिस बिंदल जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट और कलकत्ता हाई कोर्ट में भी जज रह चुके हैं।
कौन हैं जस्टिस अरविंद कुमार?
जस्टिस अरविंद कुमार 2021 से गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। जस्टिस कुमार ने 1987 में एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और 1999 में उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद 2009 में उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और दिसंबर, 2012 में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया।
पिछले सप्ताह किन जजों ने ली थी शपथ?
पिछले सप्ताह राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पंकज मिथल, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीवी संजय कुमार, पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस मनोज मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ ली थी। बता दें कि केंद्र सरकार ने लंबे वक्त के बाद इन सभी पांच जजों के नामों को मंजूरी दी थी।
सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रही है तनातनी
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच तनातनी चल रही है। केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है और कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि नियुक्त करने की मांग की है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इससे पहले कॉलेजियम को संविधान के लिए एक एलियन बताया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का बचाव करते हुए इसे सही व्यवस्था करार दे रहा है।