
पद्मानभस्वामी मंदिर के 'रहस्यमयी दरवाजे' के खुलने पर संशय बरकरार, जानिए पूरा मामला
क्या है खबर?
केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर प्रबंधन और प्रशासन के बीच पिछले नौ सालों से चल रहे विवाद का सोमवार को अंत हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए त्रावणकोर के शाही परिवार को ही मंदिर का ट्रस्टी बरकरार रखा है।
इसके अलावा मंदिर मामलों के प्रबंधन के लिए एक प्रशासनिक समिति बनाने तथा मंदिर के आख़िरी कमरे यानी 'वॉल्ट B' को खोलने का फैसला भी समिति पर छोड़ा है।
आदेश
समिति बनने तक कोर्ट की कमेटी और जिला न्यायाधीश करेंगे मंदिर की देखभाल
BBC के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने त्रावणकोर के शाही परिवार को ही मंदिर ट्रस्टी बरक़रार रखा है।
इसके अलावा प्रशासनिक समिति का गठन होने तक मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी अस्थायी तौर पर कोर्ट की कमेटी और जिला न्यायाधीश को सौंपी है।
कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के 31 जनवरी, 2011 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य सरकार से मंदिर का नियंत्रण लेने के लिए न्यास गठित करने को कहा गया था।
इतिहास
यह है पद्मानभस्वामी मंदिर का इतिहास
इस भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं सदी में इसके मौजूदा स्वरूप में त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था। आजादी के बाद जब त्रावणकोर और कोचिन रियासतों को मिलाया गया तो मंदिर के प्रशासन का अधिकार त्रावणकोर के आखिरी शासक चिथिरा थिरूनल को मिला था।
जब 1991 में उनकी मृत्यु हुई तो उनके भाई उत्तरादम वर्मा को इसकी कस्टडी मिली। साल 2007 में उन्होंने मंदिर के खजाने को शाही परिवार की संपत्ति बताया था।
विवाद
मंदिर की संपत्ति को लेकर प्रबंधन और प्रशासन में हुआ था विवाद
उत्तरादम वर्मा द्वारा मंदिर के खजाने को शाही परिवार की सपंत्ति बताने पर मामला कोर्ट पहुंच गया था।
निचली अदालत ने मंदिर के कमरों को खोलने पर रोक लगाई थी, लेकिन साह 2011 में केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिर पर नियंत्रण के लिए एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दे दिया था।
इस आदेश को त्रावणकोर शाही परिवार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम ने आदेश पर रोक लगाते हुए संपत्ति की सूची बनाने को कहा था।
संपत्ति
कमरे खोलने पर निकला अथाह खजाना
मंदिर में A से F तक छह कमरे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर कमरों को खोलना शुरू किया तो E और F कमरों में शाही बर्तन मिले, जिनका इस्तेमाल अनुष्ठानों में किया जाता है।
इसी तरह C और D कमरे में सोने-चांदी के जेवर मिले हैं, जिन्हें किसी खास दिन इस्तेमाल किया जाता है।
इसी तरह जब वॉल्ट A को खोला गया तो उसमें करीब एक लाख करोड़ का खजाना मिला। जिसके बाद अधिकारी सकते में आ गए थे।
जानकारी
कमरे में मिली थी भगवान विष्णु की साढ़े तीन फीट लंबी सोने की मूर्ति
वॉल्ट A कमरे में भगवान महाविष्णु की साढ़े तीन फीट लंबी हीरे जडि़त सोने की मूर्ति, 18 फीट लंबी सोने की चेन, हीरे, रूबी और कीमती पत्थरों से भरे बोरे निकले भी निकले थे। जिनकी वास्तविक कीमत का आंकलन आज भी नहीं हो सका है।
आखिरी कमरा
आखिरी कमरे में बताया जाता है सबसे अधिक खजाना
आखिरी कमरा अभी तक नहीं खोला जा सका है। त्रावणकोर शाही परिवार का कहना है कि इस कमरे को खोलना विश्वास और परंपरा के खिलाफ होगा।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में इसके खोलने पर रोक लगा दी थी। लोगों में मान्यता है कि इसे खोला गया तो बहुत बुरा होगा।
इसी कमरे में सबसे बड़ा खजाना होने की बात कही जाती है। उसके बाद से सुप्रीम कोर्ट ने इसे खोलने पर कोई आदेश नहीं दिया है।
आरोप
मंदिर प्रशासन पर लगाए गए थे भ्रष्टाचार के आरोप
साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस केएसपी राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सेलेक्शन कमेटी बनाई थी। वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को कोर्ट की मदद के लिए नियुक्त किया गया।
उन्होंने अपनी रिपोर्ट मंदिर के प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उनके सुझावों पर कोर्ट ने 2014 में नियंत्रण और महालेखा परीक्षक को मंदिर के खातों का स्पेशल ऑडिट करने के लिए रखा था, लेकिन अब फिर से मंदिर का अधिकार शाही परिवार को मिल गया है।