PFI पर प्रतिबंध के बाद अब उसके पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का क्या होगा?
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े अन्य संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है।
इसके अलावा गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस प्रमुखों को संगठन के अन्य कार्यालयों पर कार्रवाई करते हुए धन जब्त करने के निर्देश दिए हैं।
ऐसे में अब बड़ा सवाल यह है कि इस प्रतिबंध के बाद PFI से जुड़े पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का क्या होगा?
घोषणा
PFI सदस्यों को करनी होगी संगठन से अलग होने की घोषणा
न्यूज 18 के अनुसार, मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि PFI पर प्रतिबंध के बाद अब उससे जुड़े सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को संगठन से अलग होने की घोषणा करनी होगी।
उन्होंने कहा कि इस घोषणा के बाद यदि वह संगठन की गतिविधियों में लिप्त मिलते हैं तो उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। इसके बाद उन्हें दो साल जेल, जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।
अधिसूचना
प्रतिबंध के संबंध में अधिसूचना का किया जाएगा प्रचार
गृह मंत्रालय ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को PFI पर प्रतिबंध को लेकर जारी अधिसूचना का व्यापक प्रचार करने के भी आदेश दिए हैं। इसके तहत अब PFI गतिविधियां संचालित करने वाले राज्यों की पुलिस PFI के कार्यालयों के बाहर प्रतिबंध की अधिसूचना चिपकाएगी और उसके पदाधिकारियों को इसकी कॉपी दी जाएगी।
इसके अलावा लाउडस्पीकर के जरिए क्षेत्र में अधिसूचना की मुनादी भी कराई जाएगी। इसके बाद गतिविधियों में शामिल होने वालों पर सख्ती बरती जाएगी।
नियम
क्या है किसी संगठन पर प्रतिबंध के नियम?
PFI पर UAPA की धारा 3 के तहत प्रतिबंध लगाया गया है। इसके तहत केंद्र की राय में किसी संगठन के गैरकानूनी होने की सूरत में प्रतिबंध के संबंध में आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना जारी करनी होती है।
इसके बाद उसके सदस्यों को संगठन से अलग होने की घोषणा के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है।
इसी तरह सदस्यों को संगठन से संबंधित दस्तावेजों की पुलिस को जानकारी देनी होती है या उन्हें जमा करना होता है।
घोषणा
कार्यालयों को संगठन की गतिविधि से मुक्त घोषित करना होगा
UAPA के तहत प्रतिबंध के बाद संगठन के फंड को संभालने वाले सदस्यों को उससे जुड़े किसी भी प्रकार का लेनदेन करने से रोक दिया जाता है।
इसी तरह प्रतिबंधित संगठन के कार्यालय के लिए जगह देने वाले व्यक्ति को 30 दिन में वहां संगठन से संबंधित कोई गतिविधि न होने की घोषणा करनी होती है।
इसके बाद उस जगह पर संगठन की कोई भी गतिविधि होने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ UAPA के तहत कार्रवाई की जाती है।
बयान
PFI के सदस्यों को संगठन छोड़ने के लिए दिया जाएगा पर्याप्त समय
वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि प्रतिबंध के बाद अब PFI के सदस्यों को संगठन छोड़ने के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा, लेकिन यदि उनके पास से कोई आपत्तिजनक दस्तावेज पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि जिला मजिस्ट्रेटों को स्थानीय पुलिस की मदद से दो गवाहों की मौजूदगी में PFI कार्यालयों से जब्त होने वाले सामानों की सूची बनानी होगी। इसमें कपड़े, बर्तन, बिस्तर, मवेशी और राशन शामिल नहीं होंगे।
छापेमारी
PFI के ठिकानों पर हुई थी बड़ी छापेमारी
बीते एक हफ्ते में अलग-अलग राज्यों में PFI से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। इसमें जांच एजेंसियों ने कई संदिग्ध उपकरण और दस्तावेज बरामद करने के साथ 300 से अधिक पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।
इसी दौरान PFI के ठिकानों से इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) बनाने की संक्षिप्त गाइड, GPS नेविगेटर, दो लोवरेंस LHR-80, ISIS और गजवा-ए-हिंद से जुड़ी सीडी और पेन ड्राइव तथा 'मिशन 2047' से जुड़े कई अहम और संदिग्ध दस्तावेज भी मिले थे।
कार्रवाई
सरकार ने PFI पर लगाया पांच साल का प्रतिबंध
इन दस्तावेजों के आधार पर सरकार ने PFI और उससे जुड़े संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है।
इसकी अधिसूचना में कहा गया है कि PFI के शीर्ष नेतृत्व में शामिल अधिकतर नेता पहले प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े हुए थे।
PFI के जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (JMB) और इस्लामिक स्टेट (IS) से संबंध पाए गए हैं। JMB को 2019 में प्रतिबंधित किया गया था। उससे पहले इसकी कई राज्यों में उपस्थिति थी।
पृष्ठभूमि
क्या है PFI?
PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है और यह खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है।
यह संगठन पहली बार 22 नवंबर, 2006 को केरल में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के मुख्य संगठन के रूप में अस्तित्व में आया था। उस दौरान संगठन ने दिल्ली के रामलीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस आयोजित कर सुर्खियां भी बटोरी थीं।
पिछले दिनों देश में हुई कई सांप्रदायिक हिंसाओं में उसका नाम आ चुका है।