राजस्थान में PFI के 7 ठिकानों पर NAI ने छापेमारी, हिरासत में लिए कई सदस्य
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NAI) ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़ी गतिविधियों को लेकर शनिवार को राजस्थान में सात जगहों पर छापेमारी की है। इस दौरान टीम ने कई सदस्यों को हिरासत में लेकर मौके से डिजिटल उपकरण, एयरगन, धारदार हथियार और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए हैं। इन जगहों पर अभी भी छापेमारी जारी है और टीम के सदस्य हिरासत में लिए लोगों से पूछताछ करने में जुटे हुए हैं।
इन जगहों पर की जा रही है कार्रवाई
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, प्रतिबंध के बाद भी PFI से जुड़ी गतिविधियां संचालित होने की गुप्त सूचना के आधार पर NAI की सात टीमों ने सुबह कोटा जिले में तीन जगहों सहित सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, बूंदी और राजधानी जयपुर में एक-एक जगह पर छापेमारी की। इस दौरान टीमों ने कई सदस्यों को हिरासत में लेकर मौके से कई तरह के डिजिटल उपकरण, एयरगन, धारदार हथियार और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए हैं। सदस्यों से पूछताछ जारी है।
PFI की गतिविधियां संचालित करने की मिली थी सूचना
NAI के सूत्रों के अनुसार, सितंबर, 2022 में राजस्थान में की गई कार्रवाई के दौरान बारां जिला निवासी सादिक सर्राफ और कोटा में PFI के मोहम्मद आसिफ को गिरफ्तार किया था। उस दौरान उन्होंने पूछताछ में बताया था कि वह PFI सदस्यों के साथ गैरकानूनी गतिविधियां संचालित कर रहे थे। इस पर 19 सितंबर को NAI ने मामला दर्ज किया था। उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ही अब सात टीमों ने छापेमारी की है।
मामले की जांच के बाद किया जाएगा खुलासा
NAI अधिकारियों ने इस संबंध में अभी कोई खुलासा नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि टीमें अभी जांच में जुटी हुई है और उसके बाद ही इस संबंध में खुलासा किया जाएगा। इस कार्रवाई से PFI से जुड़े लोगों में खलबली मची है।
NAI ने 13 फरवरी को भी की थी छापेमारी
बता दें कि मामले में NAI ने 13 फरवरी को भी छापेमारी की थी। उस दौरान टीम ने जयपुर से आरोपी मोहम्मद सोहेल को गिरफ्तार किया था। कार्रवाई के बाद NAI की ओर से कहा गया है कि आरोपी सोहेल शांति भंग करने और सांप्रदायिक नफरत फैलाने की साजिश में शामिल रहा है। इस मामले में ही पहले सादिक सर्राफ और मोहम्मद आसिफ को भी गिरफ्तार किया गया था। अब एजेंसी उनसे जुड़े लोगों को गिरफ्तारी में जुटी है।
PFI पर पिछले साल लगा था पांच साल का प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने पिछले साल 28 सितंबर को PFI और इसके सभी सहयोगी संगठनों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत पांच साल का प्रतिबंध लगाया था। उसकी अधिसूचना में कहा गया था कि PFI के शीर्ष नेतृत्व में शामिल अधिकतर नेता पहले प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े हुए थे। PFI के जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (JMB) और इस्लामिक स्टेट (IS) से संबंध पाए गए हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है जो खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है। यह पहली बार 22 नवंबर, 2006 को केरल में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के नाम से अस्तित्व में आया था। तब उसने संगठन ने दिल्ली के रामलीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस आयोजित कर सुर्खियां भी बटोरी थीं। कई सांप्रदायिक हिंसाओं में PFI का नाम आ चुका है और सरकार PFI पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही थी।