केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर 10 मई को फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
कथित शराब नीति घोटाले में जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट 10 मई को फैसला सुना सकता है।
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस दीपांकर दत्ता ने इसके संकेत दिए हैं।
उन्होंने कहा कि वे 10 मई को मामले की सुनवाई करेंगे और जहां तक अंतरिम जमानत का सवाल है, 10 मई को ही इस पर भी फैसला सुनाया जा सकता है।
सुनवाई
पिछली सुनवाई में नहीं आया था फैसला
केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर 7 मई को भी सुनवाई हुई थी, लेकिन तब पीठ बिना फैसला सुनाए उठ गई थी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस खन्ना ने कहा था, "2 साल में 1,100 करोड़ हो गया? आपने कहा कि अपराध की आय 100 करोड़ थी, यह 1,100 करोड़ कैसे हो सकती है? पूरी के पूरी आय अपराध की आय कैसे हो सकती है।"
इसके अलावा उन्होंने जांच में देरी पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर भी सवाल उठाए थे।
कोर्ट
कोर्ट ने कहा था- बतौर मुख्यमंत्री कर्तव्यों का पालन नहीं कर सकेंगे केजरीवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "अगर हम आपको अंतरिम जमानत देते हैं तो हम स्पष्ट हैं कि हम आपको मुख्यमंत्री के रूप में आपके कर्तव्यों का पालन नहीं करने देंगे। अगर आप चुनाव में भाग लेते हैं और आधिकारिक काम करते हैं तो इसका व्यापक प्रभाव होगा।"
इस पर केजरीवाल के वकील ने कहा था केजरीवाल किसी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, लेकिन फिर उपराज्यपाल भी इस वजह से कोई फाइल न रोकें।
अपराधी
केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "केजरीवाल दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री हैं और आदतन अपराधी नहीं हैं। उनके साथ आदतन अपराधी की तरह बर्ताव नहीं किया जा सकता है।"
इस पर ED का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा था, "राजनीतिक लोगों को अलग तरह से अलग श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जा सकती है तो किसी किसान को खेती के समय जमानत क्यों नहीं दी जा सकती।"
हिरासत
20 मई तक बढ़ी केजरीवाल की न्यायिक हिरासत
ED ने कथित शराब नीति घोटाले में 21 मार्च को केजरीवाल को उनके घर से गिरफ्तार किया था। पहले 11 दिन वह ED की हिरासत में रहे और 1 अप्रैल को कोर्ट ने उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया। फिलहाल वे 20 मई तक न्यायिक हिरासत में है।
केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (APP) गिरफ्तारी को लोकसभा चुनाव से जोड़ा है। उनका कहना है कि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की भावना के खिलाफ है।
मामला
क्या है शराब नीति मामला?
दिल्ली सरकार ने नवंबर, 2021 में नई शराब नीति लागू की थी। इसमें शराब के ठेके निजी शराब कंपनियों को दिए गए थे।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस नीति में भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए इसकी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की सिफारिश की। बाद में ED भी जांच में शामिल हो गई।
आरोप है कि दिल्ली सरकार ने शराब कंपनियों से रिश्वत लेकर उन्हें नीति के जरिए लाभ पहुंचाया और शराब के ठेके दिए।