
जामिया के छात्रों पर पुलिस कार्रवाई: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट जाने को कहा
क्या है खबर?
जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ताओं से संबंधित राज्यों के हाई कोर्ट्स जाने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट जांच के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जजों को नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्य के स्तर पर एक जांच समिति बनना अच्छा होगा
मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने आदेश में कहा, "मामले की प्रकृति और विशाल विवादित क्षेत्र को देखते हुए हमें लगता है कि जांच के लिए विभिन्न राज्यों के स्तर पर एक समिति बनाना सही रहेगा। इससे अलग-अलग राज्यों से सबूत इकट्ठा किए जा सकेंगे।"
छात्रों का पक्ष वकील इंदिरा जयसिंह और कोलिन गोंजाल्विस ने रखा।
सुनवाई
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, हम दखल क्यों दें?
इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछते हुए कहा, "हमें दखल देने की जरूरत नहीं है। ये कानून व्यवस्था की समस्या है, बसें कैसे जली थीं? आप हाई कोर्ट क्यों नहीं गए?"
इसके जवाब में इंदिरा जयसिंह ने कहा, "ये स्थापित कानून है कि पुलिस बिना कुलपति की इजाजत के विश्वविद्यालयों में नहीं घुस सकती। एक व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली गई। कई छात्रों के पैर टूटे हैं।"
सवाल
इंदिरा का सवाल, कोर्ट मामले से अपना पीछा कैसे छुड़ा सकती है?
इंदिरा ने कहा, "ये कई राज्यों का मामला है और तथ्यों की छानबीन करने के लिए एक SIT की जरूरत है। कोर्ट मामले से अपनी पीछा कैसे छुड़ा सकता है? उसने तेलंगाना एनकाउंटर केस को सुना। हम भी ऐसे ही आदेश की मांग कर रहे हैं।"
इसके जबाव में CJI बोबड़े ने कहा कि तेलंगाना एनकाउंटर केस में एक आयोग बनाकर जांच की सकती है, लेकिन इस मामले में ऐसी समिति पूरे देश में जांच नहीं कर सकती।
पृष्ठभूमि
क्या है जामिया के छात्रों पर पुलिस कार्रवाई का मामला?
बता दें कि रविवार को जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में छात्रों के अलावा बाहरी लोग भी शामिल थे।
इस दौरान पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज किया, जिसके बाद कुछ अज्ञात लोगों ने DTC की तीन बसों को आग के हवाले कर दिया।
छात्रों का कहना है कि ये हिंसा बाहर से आए लोगों ने की थी और पुलिस के लाठीचार्ज के बाद हालात और खराब हुए।
बर्बर कार्रवाई
रात को यूनिवर्सिटी के अंदर घुसी पुलिस
रात को प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के बहाने दिल्ली पुलिस जामिया यूनिवर्सिटी के कैंपस में घुस गई और 100 से अधिक छात्रों को हिंसा में शामिल होने के लिए गिरफ्तार कर किया।
छात्रों ने पुलिस पर यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी और लड़कियों के हॉस्टल तक में घुसने का आरोप लगाया है। पुलिस के आंसू गैस के गोले छोड़ने की बात भी कही जा रही है।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने उनके साथ अपराधियों जैसा सलूक किया और उन्होंने छिपकर अपनी जान बचाई।
प्रदर्शन
खबर बाहर आने पर सड़कों पर उतरे छात्र
रविवार रात को पुलिस की इस बर्बर कार्रवाई की खबर जब बाहर आई तो देश के कई विश्वविद्यालयों के छात्र रात को ही सड़क पर उतर आए।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के छात्र भी जामिया के छात्रों के समर्थन में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया।
इसके बाद पुलिस के AMU कैंपस में घुसकर जामिया यूनिवर्सिटी की तरह हमले के आरोप लग रहे हैं।
बयान
जामिया की कुलपति ने कही 200 छात्रों के घायल होने की बात
जामिया यूनिवर्सिटी की कुलपति नजमा अख्तर ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पुलिस कार्रवाई में 200 छात्रों के घायल होने की बात कही थी।
मामले में उच्च-स्तरीय जांच की मांग करते हुए अख्तर ने कहा था कि पुलिस बिना इजाजत कैंपस में दाखिल हुए थे।
उन्होंने कहा कि कैंपस में पुलिस की उपस्थिति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हिंसा करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई जाएगी।
जानकारी
एक छात्र को लगी गोली
इस बीच जामिया के एक छात्र समेत दो लोगों को गोली लगने की भी पुष्टि हुई है। हालांकि पुलिस ने गोली चलाने की बात से इनकार किया है। लेकिन मेडिकल रिपोर्ट पुलिस के इस दावे के विपरीत गोली लगने की पुष्टि करती है।