यहां लोग ही नहीं बल्कि भैंसे भी की जाती हैं किडनैप, वसूली जाती है फिरौती
आपने लोगों की किडनैपिंग और फिरौती लेकर उन्हें छोड़े जाने की कई घटनाओं के बारे में सुना होगा। चंबल भारत का एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ ऐसी घटनाएँ आम बात हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि चंबल में न केवल लोग बल्कि भैंसे भी असुरक्षित हैं, क्योंकि यहाँ वो भी किडनैप हो जाती हैं। इसके बाद उनके बदले किडनैपर पैसे माँगते हैं। यह आपराधिक ट्रेंड क्षेत्र में काफ़ी समय से चल रहा है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
स्थानीय भाषा में भैंसों की किडनैपिंग को कहा जाता है पहिनाई
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भैंसों की किडनैपिंग को स्थानीय भाषा में पहिनाई कहा जाता है। पहिनाई का मतलब मध्यस्थों के ज़रिए एकमुश्त रक़म लेकर चोरी की गई भैंस को उसके मालिक तक पहुँचाना है।
भैंस चोरों के आगे पुलिस भी है बेबस
किडनैपर द्वारा माँगी जाने वाली रक़म भैंस की कीमत का 30% तक होती है। भैंस चोर, दलालों और राजनीतिक संपर्क के कारण इतने मज़बूत हैं कि उनके आगे पुलिस भी बेबस है। पुलिस भैंस चुराने वालों का नाम-पता मालूम होने के बाद भी उनके गाँव में घुस नहीं पाती। अगर कभी पुलिस गाँव में घुसने का प्रयास भी करती है, तो चोर समुदाय के रूप में एकजुट होकर प्रतिरोध करते हैं। कई बार गोलियाँ भी चल जाती हैं।
पीड़ित पक्ष नहीं करता पुलिस में शिकायत
बता दें कि पहिनाई के ज़्यादातर मामले पुलिस तक पहुँच ही नहीं पाते हैं, क्योंकि पीड़ित पक्ष ऐसा करने में अपना अपमान महसूस करते हैं। आज हम आपको यहाँ पहिनाई के तीन मामलों के बारे में बताएँगे। आगे पढ़ें।
चोरों ने क़सम खाकर किया भैंस लौटाने का वादा
मध्य प्रदेश में दिमनी के सिरमिति गाँव से एक सितंबर की रात लगभग 12 बजे जलदेवी (एक विधवा महिला) की 60,000 रुपये कीमत की भैंस चोरी हो गई। जलदेवी को तीन लोगों पर संदेह था। उन्होंने पुलिस को तीनों के नाम भी बताए, लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हुई। आख़िरकार उन्होंने पंचायत बुलाई और उन लोगों के नाम सामने रखे। चोरों ने क़सम खाकर भैंस वापस करने का वादा किया, लेकिन पैसे न देने से मामला अभी तक अटका हुआ है।
जब दलालों के माध्यम से वापिस मँगवाई गई भैंस
ठीक इसी तरह पोरसा क्षेत्र के सींगपुरा निवासी धारा कोरी की भैंस को अप्रैल में अज्ञात चोर उनके घर के बाहर से खोलकर ले गए थे। धारा ने भी इसकी शिकायत पुलिस में की, लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हुई। थक हारकर अंत में उन्होंने दलालों से संपर्क किया। इसके बाद पंचायत बुलाई गई और दलालों के माध्यम से 20,000 रुपये देकर 60,000 रुपये कीमत की भैंस वापस मँगवाई गई।
ट्रैक्टर के बदले हुआ भैंस का सौदा
एक अन्य मामले में दो साल पहले मुरैना गाँव के धर्मेंद्र किरार की 80,000 रुपये कीमत की भैंस चोरी हो गई। चोरी में दोन्हारी गाँव के दो लोगों का हाथ होने की बात पता चली। इसके बाद महापंचायत में तय किया गया कि वे अपने गाँव से भैंस चोरी से जुड़े समुदाय के लोगों के रेत के ट्रैक्टर-ट्रॉली निकलने नहीं देंगे और उन्हें पकड़ लेंगे। एक ट्रैक्टर पकड़ने के 10 दिन बाद संबंधित समुदाय ने भैंस वापस कर दी।
बदमाशों की हिस्ट्रीशीट तैयार कर रही है पुलिस
इस तरह के मामलों से निपटने के लिए पुलिस ने एक नई योजना तैयार की है। मुरैना SP डॉ असित यादव ने बताया, "सभी थाना प्रभारियों को निर्देश किए गए हैं कि वे पशु चुराने वाले पुराने बदमाशों की हिस्ट्रीशीट तैयार करे और उन्हें थाने बुलाकर पाबंद किया जाए।" उन्होंने आगे कहा, "हम पुलिस से मवेशी चोरी की पुरानी घटनाओं और आरोपियों का रिव्यू शुरू करा रहे हैं।" हालाँकि, इससे कोई फ़ायदा होगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा।