
#NewsBytesExplainer: गिरफ्तारी पर जाएगी मुख्यमंत्री-मंत्री की कुर्सी, गृह मंत्री ने पेश किए विधेयक; जानें अहम बातें
क्या है खबर?
गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार होने पर अब मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाया जा सकेगा। केंद्र सरकार इसके लिए कानून बनाने जा रही है। गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में इस संबंध में 3 विधेयक पेश किए हैं। विधेयक के मुताबिक, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री 30 दिन तक हिरासत में रहते हैं तो उनको बर्खास्त कर दिया जाएगा। विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया है। आइए विधेयकों से जुड़ी बड़ी बातें जानते हैं।
विधेयक
सरकार ने कौन-कौनसे विधेयक पेश किए?
गृह मंत्री आज केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद में पेश किया। गृह मंत्री इन तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने के लिए लोकसभा में एक प्रस्ताव भी पेश किया। समिति में भेजे जाने के बाद इन विधेयकों को संसद से पारित कराया जा सकता है और फिर ये कानून बन जाएंगे। यानी कानून बनने में कुछ और महीने लग सकते हैं।
पहला विधेयक
केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक में क्या-क्या प्रावधान हैं?
वर्तमान में केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963 (1963 का 20) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। यही वजह है कि ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करने के लिए सरकार 1963 के अधिनियम की धारा 45 में संशोधन कर रही है। इससे गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाया जा सकेगा।
दूसरा विधेयक
130वें संविधान संशोधन विधेयक में क्या-क्या है?
दरअसल, संविधान में गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करने के मकसद से संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन की जरूरत है। इसी वजह से ये विधेयक लाया जा रहा है।
तीसरा विधेयक
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक में क्या है?
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 के उद्देश्यों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करने हेतु जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन किया जाना है। इसी वजह से ये विधेयक लाया जा रहा है।
बड़ी बातें
अब विधेयकों की बड़ी बातें जानिए
5 साल से ज्यादा की सजा होने पर मुख्यमंत्री और मंत्री गिरफ्तार किए जाएंगे। 30 दिन तक लगातार हिरासत में रहने पर पद से हटाया जा सकेगा। इसके लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से सिफारिश करेंगे। गिरफ्तारी के 31वें दिन तक इस्तीफा नहीं देने पर खुद पद से हट जाएंगे। अगर प्रधानमंत्री ने सिफारिश नहीं की तो भी 31वें दिन कुर्सी चली जाएगी। मंत्री या मुख्यमंत्री को अगर 30 दिन तक जमानत नहीं मिलती है तो उन्हें तुरंत पद छोड़ना होगा।
नेता
जेल में रहते हुए इन नेताओं ने नहीं छोड़ा था पद
दिल्ली में AAP सरकार के कई नेताओं ने गिरफ्तारी के बाद भी पद नहीं छोड़ा था। अरविंद केजरीवाल ने 177 दिन तक जेल में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया। AAP नेता सत्येंद्र जैन भी जेल में रहने के बावजूद मंत्री बने रहे। तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी भी 241 दिन जेल में रहे, लेकिन इस्तीफा नहीं दिया। उन्हें नौकरी के बदले घूस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था।
विपक्ष
विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध?
विपक्ष का कहना है कि सरकार राज्यों में विपक्षी मुख्यमंत्रियों को केंद्रीय एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार कराने के बाद उन्हें तुरंत पद से हटाने के लिए ये विधेयक ला रही है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, "सरकार विपक्षी मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हरा पाने में विफल रहने के बाद उन्हें हटाने के लिए कानून लाना चाहती है। यह कैसा दुष्चक्र है। गिरफ्तारी के लिए किसी दिशानिर्देश के पालन की जरूरत भी नहीं है। इससे विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां अनियंत्रित होगी।"