सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी पर बोले किरेन रिजिजू, कहा- कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता
क्या है खबर?
केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच चल रही तनातनी के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बड़ा बयान दिया है।
रिजिजू ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है, लेकिन यहां कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता।
उन्होंने कहा कि कि वे जनता के सेवक हैं क्योंकि जनता देश की मालिक है और वे संविधान के हिसाब से काम करते हैं।
बयान
किरेन रिजिजू ने क्या बयान दिया?
किरेन रिजिजू ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "मैंने देखा कि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने वार्निंग दी है। इस देश के मालिक यहां के लोग हैं, हम सिर्फ सेवक हैं। हमारी गाइड संविधान है। संविधान के अनुसार देश चलेगा। कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम खुशकिस्मत हैं कि देश के लिए काम करने के लिए जिम्मेदारी मिली है।"
ट्विटर पोस्ट
यहां देखें किरेन रिजिजू का पूरा बयान
#WATCH | I saw a media report today that stated- Supreme Court has given a warning...The Indian Constitution is our guide. No one can give a warning to anyone: Union Law Minister Kiren Rijiju in Prayagraj, UP pic.twitter.com/oyoDfzLzIS
— ANI (@ANI) February 4, 2023
नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति में देरी को लेकर जताई थी नाराजगी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कॉल और जस्टिस एएस ओका की बेंच ने जजों की नियुक्ति और हाई कोर्ट के जजों के ट्रांसफर में में हो रही देरी पर नाराजगी जताई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि उसे ऐसा स्टैंड लेने पर मजबूर नहीं किया जाए, जिससे परेशानी हो।
इसके बाद केंद्र ने कहा था कि जजों की नियुक्ति जल्दी की जाएगी।
मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट के पांच नए जजों के नामों को केंद्र सरकार ने दी मंजूरी
बता दें कि केंद्र सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच नए जजों के नामों को मंजूरी दी थी।
राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पंकज मितल, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीवी संजय कुमार, पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस मनोज मिश्रा के नामों को मंजूरी दी गई है।
स्थिति
सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रही तनातनी
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से जजों की नियुक्ति और कॉलेजियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।
केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है और कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि नियुक्त करने की मांग की है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का बचाव करते हुए इसे सही व्यवस्था करार दे रहा है।
इस मामले में दोनों तरफ से बयानबाजी हो रही है।