सुप्रीम कोर्ट के 5 नए जजों के नामों को केंद्र सरकार ने दी अपनी मंजूरी
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पांच नए जजों के नामों को अपनी मंजूरी दे दी है। बतौर रिपोर्ट्स, प्रधानमंत्री कार्यालय ने 2 फरवरी को इन नामों को मंजूर किया था, जिसके बाद इन नामों पर आखिरी मुहर के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम ने पिछले साल दिसंबर में हाई कोर्ट के तीन मुख्य न्यायाधीशों और दो अन्य न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की थी।
मंजूरी
किन जजों के नामों को दी गई मंजूरी?
इंडियन एक्स्प्रेस के मुताबिक, केंद्र सरकार ने राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मितल, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीवी संजय कुमार, पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश मनोज मिश्रा के नामों को अपनी मंजूरी दी है।
बतौर रिपोर्ट्स, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इन सभी पांचों जजों को अगले सप्ताह शपथ दिलवा सकते हैं।
संख्या
सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या हो जाएगी 32
सुप्रीम कोर्ट में पांच नए जजों की नियुक्ति होने पर अब कुल जजों की संख्या 32 हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में CJI समेत न्यायाधीशों के कुल 34 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से फिलहाल अभी 27 ही भरे हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को न्यायाधीशों की नियुक्ति में हो रही देरी से संबंधित याचिका पर सुनवाई की थी, जिसके बाद अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि नामों की नियुक्ति का वारंट जल्द जारी किया जाएगा।
सिफारिश
इन जजों के नामों की भी की गई है सिफारिश
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के लिए केंद्र सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेश बिंदल और गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार के नामों की भी सिफारिश की है।
बता दें कि जजों की नियुक्ति और कॉलेजियम को लेकर पिछले काफी दिनों से सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।
टकराव
सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रही तनातनी
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच तनातनी चल रही है।
सरकार जजों की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है और कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि नियुक्त करने की मांग की है।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इससे पहले कॉलेजियम को संविधान के लिए एक एलियन बताया था।
वहीं सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का बचाव करते हुए इसे सही व्यवस्था करार दे रहा है।
सिफारिश
कॉलेजियम ने की है समलैंगिक वकील को हाई कोर्ट जज बनाने की सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने समलैंगिंक वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाए जाने की सिफारिश भी की है।
कॉलेजियम ने कहा था कि जज के रूप में कृपाल की नियुक्ति का प्रस्ताव पांच साल से अधिक समय से लंबित है और यह प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए।
हालांकि, केंद्र सरकार ने सौरभ कृपाल के विदेशी पार्टनर और उनके समलैंगिक होने को लेकर उनका नाम पर आपत्ति जताई है।