CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब 19 सितंबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई को 19 सितंबर तक टाल दिया है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की दो सदस्यों वाली बेंच को आज इन याचिकाओं पर सुनवाई करनी थी, लेकिन कम वक्त होने के कारण इसे टाल दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, वकीलों ने सुनवाई को अगले हफ्ते तक टालने का अनुरोध किया था।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
दिसंबर, 2019 में नागरिकता संशोधन कानून को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी थी। इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले इन समुदाय के लोगों को तुरंत नागरिकता दे दी जाएगी, वहीं उसके बाद या आगे आने वाले लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता मिल सकेगी।
कानून के विरोध में दायर हुईं करीब 200 याचिकाएं
नागरिकता कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में करीब 200 याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग भी शामिल है, जिसका कहना है कि यह कानून समानता के मौलिक अधिकार का हनन करता है और धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने के इरादे दिखाता है। अदालत के बाहर भी इसका विरोध करने वालों का भी यही तर्क है कि संविधान धर्म के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता है।
केवल एक बार हुई है सुनवाई
दिसंबर, 2019 में तत्कालीन CJI एसए बोबड़े, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जनवरी, 2020 के दूसरे सप्ताह तक इस कानून पर जवाब मांगा था। करीब 140 रिट याचिकाओं का जवाब देने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया गया था। मार्च, 2020 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस कानून से भारतीय नागरिकों के कानूनी, लोकतांत्रिक और सेकुलर अधिकारों का हनन नहीं होता।
CAA को लेकर देश में हुआ भारी विरोध
इस कानून में मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं होने को लेकर इस समुदाय के लोगों का मानना है कि इसका उनके खिलाफ दुरूपयोग किया जा सकता है। इसको लेकर 15 दिसंबर, 2019 से शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था, जो करीब 100 दिनों तक चला था। इसमें मुस्लिम महिलाओं सहित बच्चों ने भागीदारी निभाई थी। इसको लेकर दिल्ली में हिंसा भी हुई थी, जिसमें करीब 54 लोगों की मौत हुई थी।
अभी तक नहीं बने हैं नियम
यह कानून 10 जनवरी, 2020 को अधिसूचित हो गया था, लेकिन अभी तक इसके नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। पिछले महीने गृह मंत्रालय ने नियमों को अंतिम रूप देने की समयसीमा को छठी बार आगे बढ़वाया था। 2020 में मंत्रालय ने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के कारण इस प्रक्रिया में देरी हो रही है। गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि कोरोना महामारी खत्म होने के बाद नागरिकता कानून लागू किया जाएगा।