ED पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विपक्ष ने 'खतरनाक' बताया, जारी किया संयुक्त बयान
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कई शक्तियों को जायज ठहराते हुए फैसला सुनाया था। अब कम से कम 17 विपक्षी पार्टियों ने इस फैसले को 'खतरनाक' बताते हुए बयान जारी किया है। विपक्ष ने पत्र में उम्मीद जताई है कि यह खतरनाक फैसला कुछ ही समय लागू रहेगा और इसकी जगह संवैधानिक प्रावधान लागू होंगे। इस पत्र पर कांग्रेस, सपा,राष्ट्रीय जनता दल समेत 17 पार्टियों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था?
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के ज्यादातर कड़े प्रावधानों को वैध करार दिया। कोर्ट ने PMLA के तहत गिरफ्तार, पूछताछ और संपत्ति जब्त करने की ED की शक्तियों को भी जायज ठहराया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि ED के अधिकारी पुलिसकर्मी नहीं होते, ऐसे में जांच के दौरान उनके द्वारा रिकॉर्ड किए गए बयान को सबूत माना जा सकता है।
विपक्षी पार्टियों ने क्या लिखा?
विपक्षी पार्टियों की तरफ से जारी पत्र में लिखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को फैसला देने से पहले बड़ी बेंच के फैसले का इंतजार करना चाहिए था। यह बदले की कार्रवाई की भावना से काम कर रही सरकार के हाथ मजबूत करेगा। विपक्ष ने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला लिया है और जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। बता दें कि ED इन दिनों चर्चा में बनी हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में सुनाया था फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने PMLA की कुछ धाराओं और इसके तहत गिरफ्तार करने की ED की शक्तियों को चुनौती देने वाली करीब 150 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया था। दरअसल, PMLA में गिरफ्तार करने, जमानत देने, सपत्ति जब्त करने जैसी प्रक्रियाओं को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के दायरे से बाहर रखा गया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि चूंकि केंद्रीय एजेंसियां पुलिस के समान हैं, इसलिए उन्हें CrPC का पालन करना चाहिए और ऐसा न करना असंवैधानिक है।
कोर्ट ने ED से संबंधित धाराओं को वैध ठहराया
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने इन याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ED को गिरफ्तारी, कुर्की, सर्च और जब्त करने की शक्ति देने वाली PMLA की धारा 5, 8(4), 15, 17 और 19 को वैध करार दिया। बेंच ने कहा ED जैसी जांच एजेंसियों के अधिकारी CrPC के तहत काम करने वाले पुलिस अधिकारी नहीं हैं, ऐसे में उनके द्वारा दर्ज किए गए बयान वैध सबूत हैं।
हिरासत में लेने के समय कारण बताना अनिवार्य नहीं- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को हिरासत में लेते समय ED अधिकारियों का इसका कारण बताना अनिवार्य नहीं है और गिरफ्तारी के समय इसका कारण बताना पर्याप्त है। बेंच ने ECIR प्रदान करना भी अनिवार्य नहीं बताया। उसने कहा कि यह एक आंतरिक दस्तावेज है और FIR के समान नहीं है। जमानत की धाराओं पर कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग में जमानत के कठोर 'जुड़वां प्रावधान' मनमाने नहीं हैं, बल्कि कानूनी हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
मोदी सरकार के राज में मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित ED की छापेमारी में 26 गुना वृद्धि हुई है, लेकिन दोषी पाए जाने की दर में कमी आई है। पिछले आठ साल में ED मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में 3010 छापे मार चुकी है, हालांकि इस दौरान केवल 23 आरोपियों को ही सजा सुनाई गई है। इसके मुकाबले 2004 से 2014 के बीच 112 छापे पड़े थे, लेकिन किसी को भी दोषी करार नहीं दिया गया था।