सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को 'असली शिवसेना' पर फैसला न लेने का निर्देश
क्या है खबर?
शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट से थोड़ी राहत मिली है।
कोर्ट ने चुनाव आयोग से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी खेमे की उसे 'असली शिवसेना' घोषित करने की याचिका पर अभी कोई फैसला नहीं लेने को कहा है।
आयोग 8 अगस्त को मामले पर सुनवाई करने वाला था और उसने दोनों पक्षों से अपने दावे के समर्थन में सबूत पेश करने को कहा था।
सवाल
उद्धव गुट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान उद्धव खेमे की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि शिंदे गुट के विधायक शिवसेना का हिस्सा नहीं हैं।
उन्होंने कहा, "वो कह रहे हैं कि उन्हें 50 में से 40 विधायकों का समर्थन हासिल है, इसलिए वो राजनीतिक पार्टी हैं। अगर 40 विधायकों को निलंबित कर दिया जाता है तो उनके दावे का क्या आधार बनता है?"
उन्होंने पूछा, "क्या 40 विधायक और कोई विधायक दल कह सकता है कि वह राजनीतिक पार्टी है?"
दूसरा पक्ष
शिंदे गुट ने कहा- हमारे शिवसेना छोड़ने का कोई सबूत नहीं
शिंदे गुट का पक्ष हरीश साल्वे ने रखा। उन्होंने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि शिंदे खेमे के विधायकों ने शिवसेना छोड़ दी है और वे अभी भी पार्टी में बने हुए हैं।
उन्होंने पूछा कि 15 विधायक वाला उद्धव का विधायक समूह 39 विधायक वाले शिंदे समूह को बाहर कैसे कर सकता है।
उन्होंने कहा कि उद्धव से नाराजगी के कारण विधायकों ने अपना नेता बदला है, लेकिन वो पार्टी में बने हुए हैं।
सवाल
मुख्य न्यायाधीश रमन्ना ने दोनों गुटों से किए कठिन सवाल
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने दोनों गुटों से कई कठिन सवाल किए।
उद्धव गुट से उन्होने पूछा, "मान लीजिए दो समूह हैं और वो असली राजनीतिक पार्टी होने का दावा कर रहे हैं। क्या वो असली पार्टी के तौर पर मान्यता का दावा नहीं कर सकते?"
वहीं शिंदे गुट ने उन्होंने पूछा, "अगर आप चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक पार्टी को पूरी तरह नजरअंदाज कर रहे हैं तो यह लोकतंत्र के लइए खतरा नहीं है?"
याचिकाएं
दोनों गुटों की कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट शिवसेना की अंदरुनी लड़ाई से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
शिंदे गुट सबसे पहले कोर्ट पहुंचा था और उससे डिप्टी स्पीकर को बागी विधायकों की अयोग्यता पर कोई फैसला न लेने का निर्देश देने को कहा था।
इसके बाद उद्धव गुट ने कोर्ट में याचिका डाली और शिंदे गुट के व्हिप और विधायक दल का नेता चुनने के फैसले को चुनौती दी।
कोर्ट सोमवार को इन याचिकाओं को संवैधानिक बेंच को भेजने पर विचार करेगा।
शिवसेना
क्या है शिवसेना की पूरी अंदरूनी लड़ाई?
जून में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी और इसके कारण शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी।
इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी और अभी शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। वो शिवसेना पार्टी पर कब्जा करने की कोशिश भी कर रहे हैं और चुनाव आयोग में इससे संबंधित याचिका डाली है।