पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक: 180 देशों की सूची में सबसे निचले पायदान पर रहा भारत
भारत में पर्यावरण लगातार बिगड़ता जा रहा है और हवा में भी जहर घुल रहा है। यही कारण है कि पर्यावरणीय प्रदर्शन के मामले में अमेरिका स्थित येल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ एंड पॉलिसी और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क की ओर से हाल में जारी किए गए पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI)- 2022 में भारत 180 देशों की सूची में सबसे निचले पायदान पर रहा है। इसके उलट डेनमार्क ने पहला स्थान हासिल किया है।
11 श्रेणियों में 40 प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर तैयार होती है रैंकिंग
EPI के अनुसार, वह दुनिया भर में पर्यावरणीय स्वास्थ्य और देशों की स्थिरता स्थिति का डेटा-आधारित सार मुहैया कराता है। इसमें 11 श्रेणियों में 40 प्रदर्शन संकेतकों का उपयोग करके 180 देशों को जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन, पर्यावरणीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति के आधार पर अंक दिए जाते हैं। ये संकेतक राष्ट्रीय स्तर पर एक मापन प्रदान करते हैं कि देश पर्यावरण नीति लक्ष्यों को स्थापित करने के कितने करीब हैं।
सबसे फिसड्डी रहा भारत
EPI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत (18.9 अंक) के साथ सबसे निचले पायदान यानी 180वें स्थान पर रहा है। इसी तरह म्यांमार (19.4 अंक) के साथ 179वें, वियतनाम (20.1 अंक) 178वें, बांग्लादेश (23.1 अंक) 177वें, पाकिस्तान (24.6 अंक) 176वें, पापुआ न्यू गिनी (24.8 अंक) 175वें, लाइबेरिया (24.9 अंक) 174वें, हैती (26.1 अंक) 173वें, तुर्की (26.3 अंक) 172वें और सूडान (27.6 अंक) के साथ 171वें पायदान पर रहा है। यह इन देशों की पर्यावरण में खराब स्थिति को दर्शाता है।
डेनमार्क ने हासिल की शीर्ष स्थान
इस सूची में डेनमार्क ने (77.9 अंक) के साथ पहला, यूनाइडेट किंगडम ने (77.7 अंक) दूसरा, फिनलैंड (76.5 अंक) तीसरा, माल्टा (75.2 अंक) चौथा और स्वीडन ने (72.7 अंक) के साथ पांचवां स्थान हासिल किया है। इसी तरह लक्जमबर्ग ने (72.3 अंक) छठा, स्लोवेनिया (67.3 अंक) सातवां, ऑस्टि्रया (66.5 अंक) आठवां, स्विट्जरलैंड (65.9 अंक) नौवां और आइसलैंड ने (62.8 अंक) के साथ दसवां स्थान हासिल किया है। पर्यावरण में सुधार के मामले में ये देश दुनिया में सजग रहे हैं।
क्या रही है भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति?
इस सूची में चीन को 160वां स्थान मिला है तो श्रीलंका को 132वां स्थान मिला है। इसी तरह अफगानिस्तान को 81वां, भूटान को 85वां और नेपाल को 162वां स्थान दिया गया है। ऐसे में पड़ोसी देशों की स्थिति भारत से कहीं ज्यादा बेहतर है।
पहली बार सबसे फिसड्डी रहा है भारत
रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से खतरनाक होती वायु गुणवत्ता, बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जल स्रोतों के स्वास्थ्यवर्धक प्रबंधन, पानी एवं सफाई के निर्धारकों, जैव विविधता, कचरे के निस्तारण, ग्रीन एनर्जी में निवेश समेत सभी निर्धारकों में कमजोर प्रदर्शन के कारण भारत पहली बार रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर पहुंचा है। बता दें कि EPI-2020 में भारत 27.6 के स्कोर के साथ 168वें स्थान पर था, लेकिन अब रसातल में पहुंच गया।
50 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों के लिए जिम्मेदार होंगे चार देश
रिपोर्ट के अनुसार, डेनमार्क और ब्रिटेन सहित फिलहाल केवल कुछ ही देश 2050 तक ग्रीनहाउस गैस कटौती स्तर तक पहुंचने के लिए तैयार हैं। इसके उलट चीन, भारत और रूस जैसे प्रमुख देशों में तेजी से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ रहा है। EPI अनुमानों से संकेत मिलता है कि अगर मौजूदा रुझान बरकरार रहा, तो वर्ष 2050 में 50 प्रतिशत से अधिक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए चीन, भारत, अमेरिका और रूस जिम्मेदार होंगे।
सबसे धनी देशों में 20वें स्थान पर रहा अमेरिका
रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम के 22 धनी देशों में अमेरिका को 20वां और समग्र सूची में 43वां स्थान मिला है। अमेरिका की अपेक्षाकृत कम रैंकिंग के पीछे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के दौरान पर्यावरण संरक्षण के कदमों से पीछे हटना कारण रहा है।