सुन्नी वक्फ बोर्ड ने स्वीकार की मस्जिद के लिए मिली पांच एकड़ जमीन
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में मस्जिद के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी जाने वाली पांच एकड़ वैकल्पिक भूमि को स्वीकार कर लिया है।
बोर्ड चेयरमैन जुफर फारुकी ने कहा कि उन्होंने भूमि को पहले ही स्वीकार कर लिया था। इसे अस्वीकार करने का तो सवाल ही नहीं उठता।
उन्होंने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही कह दिया था कि वह शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान करेंगे।
स्पष्ट किया
भूमि अस्वीकार करने की बात कभी नहीं कही- फारुकी
बोर्ड के चेयरमैन फारुकी ने कहा कि उन्होंने कभी भी भूमि को अस्वीकार करने की बात नहीं कही। वो लोग ही जमीन लेने और नहीं लेने पर बवाल मचा रहे हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जमीन लेने के लिए अधिकृत नहीं किया।
बोर्ड ने फैसले के बाद ही वैकल्पिक जमीन लेने का निर्णय कर लिया था। गौरतलब है कि सरकार ने बोर्ड को देने के लिए अयोध्या के रौनाही थाना क्षेत्र के तहत एक जमीन को चिन्हित किया है।
बैठक
आगामी 24 फरवरी को होगी बोर्ड की बैठक
बोर्ड के चेयरमैन फारुकी ने बताया कि आगामी 24 फरवरी को बोर्ड के सभी आठ सदस्यों की बैठक आयोजित की जाएगी।
उसी मे यह तय किया जाएगा कि मस्जिद के लिए मिलने वाली भूमि क्या निर्माण किया जाएगा। फिलहाल जमीन पर मस्जिद के अलावा अस्पताल या फिर स्कूल बनाए जाने की संभावना है।
बैठक में बोर्ड के नाम भूमि कराने के लिए कानूनी प्रक्रिया पर चर्चा करने के बाद सरकार को जवाब भेजेगा।
प्रस्ताव
जमीन के उपयोग के लिए मिले हैं कई प्रस्ताव
बोर्ड के चेयरमैन फारुकी ने बताया कि मस्जिद निर्माण के लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट का नाम इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन रखा जा सकता है। ट्रस्ट में कुल सात सदस्य बनाए जाएंगे।
सुन्नी वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष ही इस फाउंडेशन का पदेन अध्यक्ष होगा। उन्हें लोगों से जमीन पर स्कूल, अस्पताल और धार्मिक कार्यों के लिए केन्द्र बनाने के प्रस्ताव मिले हैं।
इसी तहर मस्जिद के साथ एक इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र बनाने का प्रस्ताव भी मिला है।
बाबरी मस्जिद
बोर्ड के रिकॉर्ड से हटाया जाएगा बाबरी मस्जिद का नाम
बोर्ड के चेयरमैन फारुकी ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार बाबरी मस्जिद बोर्ड के रिकॉर्ड में नहीं रहेगी। मस्जिद का कोई वजूद ही नहीं है। ऐसे में अब इसे जल्द ही रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पांच एकड़ जमीन मस्जिद और अन्य सुविधाओं के निर्माण के हिसाब से बहुत बड़ी है। बाबरी मस्जिद तो महज एक तिहाई एकड़ में ही बनी थी। यदि उसकी नकल भी की जाती है तो भी काफी जमीन बचेगी।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को दिया ऐतिहासिक फैसला
अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को ऐतिहासिक फैसला देते हुए विवादित स्थान को राम जन्म भूमि मानते हुए सरकार को मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने तथा मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही अलग से पांच एकड़ भूमि देने का फैसला दिया था।
26 नवंबर को हुई सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए जमीन लेने का निर्णय किया गया था।