जम्मू-कश्मीर: कई हिस्सों में वॉइस कॉल और SMS सर्विस बहाल, सोशल मीडिया से नहीं हटी पाबंदी
क्या है खबर?
लंबे समय से प्रतिबंधों का सामना कर रहे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों में 2G मोबाइल इंटरनेट, ब्रॉडबैंड इंटरनेट, वॉइस कॉल और SMS सर्विस को बहाल कर दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने शनिवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 2G मोबाइल इंटरनेट की सुविधा केवल पोस्टपेड कनेक्शन पर मिलेगी।
यह सुविधा जम्मू के सभी 10 और कश्मीर के दो जिलों में बहाल हुई है।
आदेश
सोशल मीडिया पर अब भी जारी है रोक
शनिवार को प्रशासन की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि कश्मीर के श्रीनगर, बडगाम, गांदरबल, बारामूला, अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा में अभी भी मोबाइल इंटरनेट पर रोक रहेगी।
बता दें कि प्रशासन ने 15 जनवरी से अस्पतालों, बैंकों, सरकारी कार्यालयों, होटल, शिक्षण संस्थानों और टूरिज्म कंपनियों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस फिर से शुरू कर दी थी।
हालांकि, सोशल मीडिया पर अभी भी रोक जारी है और लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
ट्विटर पोस्ट
शनिवार से लागू हो जाएगा नियम- कंसल
जम्मू-कश्मीर प्रधान सचिव, रोहित कंसल: एक सावधानीपूर्वक समीक्षा के बाद आज आदेश दिया गया है कि जम्मू-कश्मीर में सभी स्थानीय प्रीपेड सिम कार्डों पर वॉयस और एसएमएस सुविधाएं बहाल की जाएंगी। pic.twitter.com/WZWFp1I0xI
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 18, 2020
आदेश
प्रीपेड सिमकार्ड पर वॉइस कॉल और SMS सर्विस बहाल
रोहित कंसल ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में सभी प्रीपेड सिम कार्ड पर वॉइस कॉल और SMS सुविधा शुरू हो गई है। ऐसे सिम कार्ड पर इंटरनेट कनेक्टिविटी देने के लिए टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (TSP) को पोस्टपेड कनेक्शन के नियमों के तहत यूजर्स की जांच करने को कहा गया है।"
साथ ही प्रशासन की तरफ से इंटरनेट कंपनियों को जम्मू के 10 और कश्मीर के कुपवाड़ा और बंदीपोरा जिले में फिक्स्ड-लाइन इंटरनेट कनेक्टिविटी देने को कहा गया है।
सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था पाबंदियों की समीक्षा का आदेश
जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट और अन्य सेवाओं पर लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को फैसला दिया था।
कोर्ट ने इंटरनेट और अन्य सेवाओं पर अनिश्चितकालीन रोक को अनुचित बताते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन से एक हफ्ते के अंदर यहां लगी सभी पाबंदियों की समीक्षा करने का आदेश दिया था।
इस दौरान कोर्ट ने इंटरनेट को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत एक मौलिक अधिकार करार दिया था।
सुनवाई
मनमानी से नहीं लगाया जा सकता मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि शक्तियों के मनमाने उपयोग के जरिए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। इंटरनेट और अन्य सेवाओं पर एक निश्चित समय के लिए ही प्रतिबंध लगाया जा सकता है और ये न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
इसके बाद कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एक हफ्ते के अंदर केंद्र शासित प्रदेश में लगी सभी तरह की पाबंदियों की समीक्षा करने का आदेश दिया था।
पाबंदी की वजह
इसलिए लगाई गई थी जम्मू-कश्मीर में पाबंदियां
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को राष्ट्रपति के एक आदेश के जरिए अनुच्छेद 370 में बदलाव करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। इसके अलावा राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला लिया गया था।
फैसले के खिलाफ विरोध की संभावना को देखते हुए राज्य में इंटरनेट, केबल टीवी और मोबाइल सेवाओं पर रोक समेत तमाम तरह की पाबंदियां लगाईं गईं थीं। इनमें से कुछ पाबंदियां धीरे-धीरे हटा ली गईं।