फारुक अब्दुला बोले- राम सबके भगवान, मौका मिला तो मैं भी पत्थर लगाने जाऊंगा अयोध्या

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित जमीन पर मालिकाना हक का फैसला करने के लिए नई बेंच के गठन की घोषणा की है। आज सुबह कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी तय की है। उससे पहले इस बेंच में शामिल होने वाले जजों के नाम भी सामने आ जाएंगे। अब इस मामले पर अलग-अलग पक्षों की राय सामने आने लगी है। आइये जानते हैं किसने क्या कहा।
हिंदू महासभा के वकील ने कहा कि वे कोर्ट से रोजाना सुनवाई की अपील करेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव से इस मामले का कोई लेना-देना नहीं है। 500 सालों से हिन्दू धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाएं इसका इंतजार कर रही हैं इसलिए इस मामले की सुनवाई जल्दी होनी चाहिए। वहीं दूसरे पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि इस मामले का समाधान कोर्ट से ही होना चाहिए। केंद्र सरकार को इस मामले में अध्यादेश नहीं लाना चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद (VHP) अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि उन्हें डर है कि राम मंदिर मामले को टाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि नई बेंच का गठन 29 अक्टूबर को ही हो जाना चाहिए था। शिवसेना अब भी इस मामले में अध्यादेश की मांग पर अड़ी है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से मंदिर नहीं बनेगा। कोर्ट में पिछले 25 सालों से मामला अटका हुआ है। इसलिए सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और उन्हें सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंजूर होगा। फारुक अब्दुला ने कहा कि इस मामले का समाधान चर्चा से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान राम पूरी दुनिया के भगवान हैं और उन्हें मौका मिलता है तो वे भी अयोध्या में पत्थर लगाने जाएंगे। साथ ही उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सिर्फ कुर्सी बचाए रखने के लिए मंदिर की बात करती है।
Farooq Abdullah on Ayodhya issue: Bhagwan Ram se kisi ko baer nahi hai na hona chahiye. Koshish karni chahiye suljhane ki aur banane ki. Jis din ye ho jayega main bhi ek patthar lagane jaaonga. Jaldi samadhaan hona chahiye https://t.co/eIBPpvpr8G
— ANI (@ANI) January 4, 2019
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि देश को 4 जनवरी का इंतजार था, इसी इंतजार में समय टल गया। उन्होंने कहा कि इस मामले पर लगातार सुनवाई होनी चाहिए। यह भारत की अस्मिता का मुद्दा था, लेकिन सुनवाई टलने से दुख हुआ है।