अयोध्या मामला: मोदी सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट, कहा- गैर-विवादित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को मिले वापस
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अयोध्या में गैर-विवादित जमीन को मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगी है।
सरकार ने कहा, विवाद 2.77 एकड़ जमीन को लेकर है और इसके पास अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन पर कोई विवाद नहीं है।
साल 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल के पास अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
सरकार ने यथास्थिति के आदेश को वापस लेने की अपील की है।
ट्विटर पोस्ट
सरकार ने दायर की याचिका
Centre moves Supreme Court seeking permission for release of excess vacant land acquired around Ayodhya disputed site and be handed over to Ramjanambhoomi Nyas. Centre seeks direction to release 67 acres acquired land out of which 0.313 acres is disputed land. pic.twitter.com/1rAho51bUJ
— ANI (@ANI) January 29, 2019
राम जन्मभूमि
राम जन्मभूमि न्यास को जमीन वापस करना चाहती है सरकार
सरकार ने याचिका में कहा है कि राम जन्मभूमि न्यास ने 1993 में अधिग्रहित की गई अतिरिक्त जमीन को वापस मांगा है।
राम जन्मभूमि न्यास विश्व हिंदू परिषद का एक ट्रस्ट है और मंदिर निर्माण को बढ़ावा देता है।
1993 में केंद्र सरकार ने विवादित जमीन के पास की 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया था।
अब सरकार अपने पास से इस जमीन को राम जन्मभूमि न्यास को वापस करना चाहती है और कोर्ट से इसकी अनुमति मांगी है।
राजनीति
लोकसभा चुनाव पर नजर?
सरकार के इस कदम को आने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है।
विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने सरकार के कदम का स्वागत किया है, वहीं राम माधव ने सरकार के इस कदम को 'बहुप्रतीक्षित' बताया है।
आज सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की विवादित जमीन को लेकर भी सुनवाई होनी थी, लेकिन रविवार को ही मामले की सुनवाई कर रहे एक जज के उपलब्ध न होने के कारण इसे रद्द कर दिया गया था।
कानून मंत्री
'तारीख पर तारीख' से नाराज हैं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद
सुप्रीम कोर्ट से 'तारीख पर तारीख' मिलने पर सोमवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नाराजगी जाहिर की थी।
उन्होंने सबरीमाला मंदिर और व्यभिचार मामले की तरह इस पर भी तेज फैसला सुनाने की अपील की।
उन्होंने कहा, "मामला पहले ही 70 साल से लंबित है और इस पर ज्यादा देर न करते हुए फैसला सुनाना चाहिए।"
कानून मंत्री ने कहा कि यह देश के लोगों की इच्छा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो।
भूमि अधिग्रहण
क्या है पूरा मामला?
6 दिसंबर, 1992 को विवादित स्थल पर बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था।
इसके बाद 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या निश्चित क्षेत्र अधिग्रहण कानून के जरिए विवादित स्थल और उसके आसपास की जमीन अपने कब्जे में ली थी।
उस समय केंद्र में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी।
अधिग्रहित की गई इसी जमीन में से गैर-विवादित जमीन को अब मोदी सरकार उसके मूल मालिकों को वापस देना चाहती है।