निर्भया कांड: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की दोषी पवन की खुद को नाबालिग बताने वाली याचिका
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड में फांसी की सजा पाए पवन कमार की खुद को घटना के वक्त नाबालिग बताने वाली स्पेशल लीव पिटिशन (SLP) खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई नया आधार नहीं है। सोमवार को पवन की तरफ से पेश वकील एपी सिंह ने तीन जजों की बेंच आर भानुमती, अशोक भूषण और बोपन्ना के सामने अपना पक्ष रखा था।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
दलील
दोषी पवन के वकील ने दी यह दलील
पवन गुप्ता के वकील एपी सिंह ने दलील दी कि निर्भया कांड के समय पवन नाबालिग था और हाई कोर्ट ने उसकी याचिका को गलत ढंग से खारिज किया।
इस पर तीन सदस्यीय बेंच ने पूछा कि जब रिव्यू पिटिशन में यह मुद्दा उठाया जा चुका है तो फिर से यह दलील क्यों दी जा रही है?
इसके जवाब में सिंह ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने साजिशन पवन की उम्र से जुड़े दस्तावेजों की जानकारी छिपाई हैै।
ट्विटर पोस्ट
फैसले के बाद ये बोलीं निर्भया की मां
निर्भया की मां आशा देवी: सुप्रीम कोर्ट ने फांसी में देरी करने की उनकी रणनीति को खारिज कर दिया है।मुझे तभी संतुष्टी मिलेगी जब उन्हें 1फरवरी को फाँसी दी जाएगी। https://t.co/OriZAJrgmV pic.twitter.com/R9IlUBzIJI
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 20, 2020
सुनवाई
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था पवन
एपी सिंह ने बेंच से मांग की इस घटना के समय पवन की उम्र 17 साल, 1 महीने और 20 दिन थी। ऐसे में उसकी भूमिका नाबालिग के तौर पर देखी जाए।
गौरतलब है कि पवन ने पहले दिल्ली हाई कोर्ट में खुद को घटना के वक्त नाबालिग बताते हुए याचिका दायर की थी। इसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट के इस फैसले को पवन के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
फांसी
कोर्ट ने जारी किया है 1 फरवरी का डेथ वारंट
दिल्ली की पटिलाया हाउस कोर्ट ने चारों को फांसी देने के लिए 1 फरवरी का डेथ वारंट जारी किया हुआ है।
इससे पहले इन्हें 22 जनवरी को फांसी देने का वारंट जारी हुआ था, लेकिन उससे पहले ही मुकेश ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेज दी थी।
उसकी याचिका रद्द होने के बाद कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी किया है। हालांकि, इस पर संशय है कि चारों दोषियों को 1 फरवरी को फांसी हो पाएगी।
जानकारी
रिकॉर्ड समय में खारिज हुई थी दया याचिका
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया के दोषी मुकेश की दया याचिका को महज चार दिनों में खारिज कर दिया। इससे पहले किसी भी मामले में राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका पर इतना जल्दी फैसला नहीं हुआ था। यह एक नया रिकॉर्ड है।
निर्भया कांड
चार में से एक दोषी के सारे कानूनी विकल्प खत्म
निर्भया के चार दोषियों में से एक मुकेश के फांसी से बचने के सारे विकल्प समाप्त हो गए हैं। पिछले सप्ताह राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उसे फांसी होने का रास्ता साफ हो गया है।
हालांकि, बाकी तीन दोषियों के पास क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका के कानूनी विकल्प बचे हुए हैं। ऐसे में उन पर अंतिम फैसला आने से पहले मुकेश को फांसी नहीं हो सकती।
विकल्प
किस दोषी के पास अब क्या विकल्प?
फांसी की सजा पाए मुकेश, विनय, पवन और अक्षय में से मुकेश और विनय की क्यूरेटिव पिटिशन और मुकेश की दया याचिका खारिज हो चुकी है। अब विनय के पास केवल दया याचिका का विकल्प बचा है।
वहीं बाकी दो दोषी अक्षय और पवन के पास अभी भी दो-दो कानूनी विकल्प बचे हुए हैं।
ये दोनों डेथ वारंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन और उसके खारिज होने पर राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा सकते हैं।
निर्भया कांड
2013 में हुई थी चारों को फांसी की सजा
16 दिसंबर, 2012 की रात को छह लोगों ने निर्भया का गैंगरेप कर उसकी हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद दोषियों को सख्त सजा और कड़े कानूनों की मांग को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे।
इस मामले में एक आरोपी नाबालिग था और दूसरे आरोपी राम सिंह ने फांसी लगाकर जेल में आत्महत्या कर ली थी।
बाकी बचे चारों आरोपियों को दोष साबित होने पर 13 सितंबर, 2013 को फांसी की सजा सुनाई गई थी।