अयोध्या: 5 मार्च को राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
अयोध्या जमीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपनी सुनवाई में 5 मार्च को फैसले की तारीख तय की है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने इस बीच यह भी कहा कि अगर विवाद को कोर्ट से बाहर निपटाने की 1 प्रतिशत भी संभावना है, तो ऐसा किया जाना चाहिए। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसे अहम माना जा रहा है और चुनाव पर मुकदमे के फैसले का बड़ा असर पड़ सकता है।
मंदिर के समर्थक चाहते थे जल्द फैसला
चुनाव से पहले दक्षिणपंथी ताकतें और मंदिर के समर्थक मामले पर जल्द से जल्द फैसला चाहते थे, ताकि इससे चुनाव में माहौल बनाने में मदद मिले। समर्थकों ने केंद्र सरकार से मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार न करने और मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश लाने की मांग भी की थी। पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट के मामले की जल्द सुनवाई करने से इनकार करने के बाद यह मांग तेजी से उठने लगी थी।
राजनीतिक सहयोगियों के बीच फंस गई है भाजपा
मुद्दे पर भाजपा अपने राजनीतिक सहयोगियों के बीच ही फंस गई है। एक तरफ शिवसेना जैसे सहयोगी हैं, जो उस पर मामले का राजनीतिक लाभ उठाने और लोगों की भावनाओं से खेलने का आरोप लगाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार जैसे सहयोगी हैं, जो मामले पर केंद्र की NDA सरकार की ओर से कोई भी कदम उठाए जाने के विरोध में हैं। उनका मानना है कि सरकार को मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी कही थी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार की बात
प्रधानमंत्री मोदी ने नए साल की पूर्व संध्या पर अपने एक इंटरव्यू में साफ किया था कि सरकार अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी और इस बीच कोई भी अध्यादेश नहीं लाया जाएगा। उन्होंने कहा था, "न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार के नाते हमारी जो भी जिम्मेदारी बनेगी, हम वह करेंगे। हम अपने घोषणा पत्र में कह चुके हैं कि मामले का हल संविधान के दायरे में होना चाहिए।"
गैर-विवादित जमीन को मूल मालिकों को लौटाना चाहती है केंद्र सरकार
अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित जमीन और 67.07 एकड़ गैर-विवादित जमीन के केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहण के खिलाफ रामभक्तों की याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में गैर-विवादित 67.07 एकड़ जमीन को अपने पास से इसके मूल मालिक राम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट को लौटाने की मांग की थी। विश्व हिंदू परिषद का यह ट्रस्ट मंदिर बनाने के काम को देखता है।