निर्भया की मां को दी गई दोषियों को माफ करने की सलाह, क्यों कहा गया ऐसा?
क्या है खबर?
जानी-मानी वकील इंदिरा जयसिंह के निर्भया की मां आशा देवी से उनकी बेटी के रेप के दोषियों की फांसी की सजा को माफ करने की अपील की है।
इंदिरा ने आशा देवी से सोनिया गांधी का अनुकरण करने को कहा है जिन्होंने अपने पति राजीव गांधी की हत्या में शामिल रही नलिनी श्रीहरन की फांसी की सजा को माफ कराया था।
राजीव गांधी के हत्याकांड से जुड़ा ये पूरा मामला क्या है, आइए आपको बताते हैं।
हत्या
श्रीलंकाई आतंकी संगठन लिट्टे ने की थी राजीव गांधी की हत्या
21 मई, 1991 को श्रीलंकाई आतंकी संगठन लिट्टे के आतंकियों ने तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी।
राजीव चुनाव प्रचार के लिए यहां आए थे और उन्हें माला पहनाने के बहाने उनके पास आईं लिट्टे की मानव बम धनु ने खुद को बम से उड़ा लिया था।
धमके में राजीव के चीथड़े उड़ गए थे और उनकी घड़ी और जूते की मदद से उनके शव की पहचान की गई थी।
गिरफ्तारियां
साजिश के मास्टरमाइंड ने जहर खाकर की आत्महत्या
राजीव की हत्या की साजिश के मास्टरमाइंड सिवरासन और उनके कुछ सहयोगियों ने हमले के बाद ही जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी।
मामले में 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें से 26 को गिरफ्तार किया जा चुका है।
मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने की। 1998 में एक स्पेशल कोर्ट ने 26 आरोपियों को राजीव की हत्या और साजिश का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने रिहा किए 19 दोषी
स्पेशल कोर्ट के इस फैसले को आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसने स्पेशल कोर्ट के फैसले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि उसका फैसला न्याय नहीं बल्कि 'न्यायिक नरसंहार' है।
1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 दोषियों को ये कहते हुए रिहा कर दिया था कि वो हत्या और साजिश के दोषी नहीं हैं और उन पर जो अपराध बनते हैं उसके लिए वो पर्याप्त सजा काट चुके हैं।
जानकारी
तीन दोषियों की सजा की कम, चार की फांसी की सजा बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने अन्य तीन दोषियों की फांसी की सजा को कम करके उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। बाकी चार दोषियों, मुरुगन, संथन, पेरारिवलन और नलिनी, की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था।
माफी
सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति से मिलकर की थी नलिनी की सजा कम करने की मांग
गिरफ्तारी के कुछ महीने बाद ही नलिनी की एक बेटी हुई थी।
चूंकि उसके पति मुरुगन को भी मामले में फांसी की सजा हुई थी, ऐसे में उन्हें भी फांसी होने पर उनकी बेटी के अनाथ होने की संभावना थी।
इन्हीं सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 2000 में सोनिया गांधी व्यक्तिगत तौर पर राष्ट्रपति से मिलीं थीं और उनसे नलिनी की फांसी की सजा माफ करने की अपील की थी, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया था।
माफी
हत्या के दोषियों को छोड़े जाने से गांधी परिवार को दिक्कत नहीं
फरवरी 2014 में बाकी तीन दोषियों की फांसी की सजा को भी सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए उम्रकैद में बदल दिया कि उनकी दया याचिका को 11 साल तक लंबित रखा गया और अब उन्हें फांसी देना उचित नहीं।
इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने उन्हें रिहा करने का फैसला भी लिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया।
सोनिया, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने कहा था कि उन्हें दोषियों को छोड़े जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।
प्रतिक्रिया
इंदिरा की मांग पर निर्भया की मां ने दिया ये जवाब
इंदिरा जयसिंह अपने ट्वीट में सोनिया गांधी के नलिनी को माफ करने की इसी घटना का जिक्र कर रहीं थीं, लेकिन निर्भया की मां आशा देवी को उनकी ये सलाह रास नहीं आई।
इंदिरा की सलाह के जवाब में उन्होंने कहा, "मुझे सलाह देनी वाली इंदिरा जयसिंह कौन होती हैं। पूरा देश दोषियों को फांसी होते हुए देखना चाहता है। उन जैसे लोगों की वजह से ही रेप पीड़ितों के साथ न्याय नहीं होता है।"