आरे में मेट्रो शेड निर्माण पर रोक नहीं, पेड़ों की कटाई पर पुराना आदेश जारी- SC
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उसने मुंबई के आरे इलाके में मेट्रो शेड के निर्माण पर रोक नहीं लगाई है। गौरतलब है कि लगभग दो सप्ताह पहले सुप्रीम कोर्ट ने आरे इलाके में पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा उसका पेड़ नहीं काटने का आदेश जारी रहेगा। बता दें कि मुंबई के 'ग्रीन लंग्स' कहे जाने वाले आरे इलाके में मेट्रो शेड्स के लिए पेड़ काटने का बड़े स्तर पर विरोध हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की बेंच ने आरे इलाके में पौधारोपण और गिरे हुए पेड़ों की तस्वीरों के साथ स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। बेंच ने मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMRCL) से दो साल पहले लगाए गए पेड़ों की परिधि और ऊंचाई की जानकारी और उनकी फोटो जमा करने का आदेश दिया है। 7 अक्टूबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने 21 अक्टूबर तक पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी थी।
विवादों में रहा है आरे में मेट्रो शेड का निर्माण
मुंबई मेट्रो के लिए आरे इलाके में शेड निर्माण का मामला विवादों में रहा है। पर्यावरणविद निर्माण कार्य का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे घने जंगल वाले इस इलाके में अतिक्रमण बढ़ेगा, जिससे वन्यजीवन को खतरा पहुंचेगा। इसे लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुआ था। कई बॉलीवुड हस्तियों और राजनेताओं ने आरे में पेड़ कटाई का विरोध किया था। जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला आता, तब तक लगभग 2,000 पेड़ काटे जा चुके थे।
क्या है आरे में पेड़ों की कटाई का मुद्दा?
उत्तरी मुंबई के गोरेगांव स्थित आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए करीब 2185 पेड़ काटे जाने थे। तमाम छात्र और पर्यावरणविद इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। आरे कॉलोनी के भीतर 27 छोटे-छोट गांव भी हैं, जिनमें सदियों से आदिवासी रहते आ रहे हैं। अभी इन गांवों में कुल 8,000 आदिवासी रहते हैं जो पूरे तरीके से इस जंगल पर निर्भर हैं और इसे काटा जाना उनके लिए एक बड़ा नुकसान है।
चुनाव में साथ-साथ, लेकिन आरे पर एक-दूसरे के खिलाफ शिवसेना और भाजपा
शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन आरे के मामले पर दोनों का स्टैंड एक-दूसरे के खिलाफ है। शिवसेना आरे इलाके में मेट्रो प्रोजेक्ट का विरोध कर रही है। पार्टी के युवा नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि मेट्रो के नाम पर पेड़ काटे जाना गलत और पर्यावरण के लिहाज से नुकसानदायक है। वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने विकास के लिए इस कदम को जायज ठहराया था।