अंतिम दौर में अयोध्या मामले की सुनवाई, जिले में धारा 144 लागू
सुप्रीम कोर्ट में आज से अयोध्या मामले की आखिरी दौर की सुनवाई शुरू होगी। इसे देखते हुए अयोध्या जिला प्रशासन ने इलाके में 10 दिसंबर तक धारा 144 लागू कर दी है। दशहरे की छुट्टियों के बाद दोबारा शुरू हो रही सुनवाई में मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें कोर्ट के सामने रखेगा। सुप्रीम कोर्ट 17 अक्टूबर तक इस मामले में सुनवाई पूरी कर लेगी। माना जा रहा है कि अगले एक महीने में इस मामले में फैसला आ सकता है।
पटाखों की बिक्री पर रहेगा प्रतिबंध
अयोध्या में धारा 144 लागू करने की जानकारी ट्विटर पर देते हुए जिलाधिकारी अनुज झा ने लिखा कि अयोध्या निवासियों और यहां आने वाले लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। इस आदेश के तहत अयोध्या में ड्रोन उड़ाने और नौकायान पर पाबंदी लग गई है। इसके अलावा जिले में पटाखों का निर्माण और बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। दुकान और गोदाम खोलने के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।
आज सुनवाई का 38वां दिन
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ ने मुस्लिम पक्ष से कहा है कि वह 14 अक्टूबर तक अपनी दलीलें पूरी करें। इसके बाद 15 और 16 अक्टूबर को हिंदू पक्ष को जवाबी दलीलें देने का मौका मिलेगा। पीठ ने 17 अक्टूबर तक इस मामले में सुनवाई पूरी करने की समयसीमा रखी है। सोमवार को सुनवाई का 38वां दिन है।
संवैधानिक पीठ कर रही है सुनवाई
इस संवैधानिक पीठ में रंजन गोगोई के अलावा न्यायधीश एसए बोबड़े, न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायधीश अशोक भूषण और न्यायधीश एसए नजीर शामिल हैं। सांप्रदायिक और राजनीतिक तौर पर संवेदनशील इस मामले में मध्यस्थता की कोशिशें खत्म होने के बाद 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई शुरू हुई थी। इसमें कोर्ट अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ भूमि समेत इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 अपीलों की सुनवाई कर रही है।
17 नवंबर से पहले फैसला आने की उम्मीद
संवैधानिक पीठ की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होंगे। इसलिए माना जा रहा है कि सुनवाई पूरी होने के एक महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट सालों से चल रहे इस मामले में फैसला सुना सकती है।
क्या है अयोध्या का विवादित भूमि मुद्दा?
अयोध्या में मुख्य विवाद 2.7 एकड़ जमीन को लेकर है। 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। 2-1 के बहुमत से सुनाए गए इस फैसले में जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड (मुस्लिम पक्ष), राम लला (हिंदू पक्ष) और निर्मोही अखाड़ा में बांटा था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर रही है।