भाजपा विधायक बोले- 17 नंवबर तक अयोध्या में बनेगा राम मंदिर
अयोध्या में विवादित भूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसी बीच राजस्थान के एक भाजपा विधायक ने ऐलान किया है कि विवादित भूमि पर 17 नवंबर से पहले राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। पाली से भाजपा विधायक ज्ञानचंद पारेख ने कहा कि 17 नवंबर से पहले विवादित भूमि पर राम मंदिर बनाया जाएगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 17 अक्तूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी कर लेगी।
17 नवंबर तक रामजन्मभूमि पर बनेगा मंदिर- विधायक
एक रामलीला कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए पारेख ने कहा, "17 अक्तूबर तक मामले की सुनवाई पूरी हो जाएगी और 17 नवंबर तक रामजन्मभूमि पर मंदिर बना लिए जाएगा। यह साल हमारे लिए बेहद पवित्र है।"
योगी आदित्यनाथ ने भी दिया था ऐसा ही बयान
पारेख के बयान से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी एक ऐसा ही भाषण दिया था। उन्होंने अपने भाषण में राम मंदिर का जिक्र किए बिना कहा था, "हम रामभक्त हैं। भक्ति में बहुत शक्ति होती है। मुझे लग रहा है कि हमें जल्द ही अच्छी खबर सुनने को मिलेगी।" योगी से पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आएगा।
प्रधानमंत्री मोदी की नसीहत भूले उन्हीं की पार्टी के नेता
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने राम मंदिर पर बयानबाजी कर रहे नेताओं को नसीहत देते हुए कहा था कि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है। ऐसे में जो 'बयानबहादुर' लगातार भाषण दे रहे हैं वो चुप्पी साधें और अदालत पर विश्वास रखें। नासिक में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि ऐसे बयान देने वाले नेता प्रभुराम के खातिर आंख बंद कर भारत की न्यायप्रणाली के प्रति श्रद्धा रखें।
17 अक्तूबर को होगी मामले की सुनवाई पूरी
सुप्रीम कोर्ट में चल रही मामले की सुनवाई 17 अक्तूबर को खत्म हो जाएगी। मुस्लिम पक्ष अपनी दलील 14 अक्तूबर को खत्म कर लेगा। इसके बाद के बचे हुए दिनों में बाकी पक्ष अपनी दलीलें खत्म करेंगे। मामले की सुनवाई कर रही पीठ में शामिल मुख्य न्यायाधीश 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इसलिए माना जा रहा है कि वो अपनी रिटायरमेंट से पहले मामले में फैसला दे सकते हैं। पूरे देश की निगाहें इस मामले पर टिकी हैं।
क्या है अयोध्या विवादित जमीन मुद्दा?
अयोध्या में मुख्य विवाद 2.7 एकड़ जमीन को लेकर है। 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। 2-1 के बहुमत से सुनाए गए इस फैसले में जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड (मुस्लिम पक्ष), राम लला (हिंदू पक्ष) और निर्मोही अखाड़ा में बांटा था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट तब से इस पर सुनवाई कर रहा है।