मूल तौर पर बिहार से संबंध रखता है ठाकरे परिवार, किताब में किया गया दावा
क्या है खबर?
ठाकरे परिवार को भले ही महाराष्ट्र में उत्तर भारत विशेषकर बिहार और उत्तर प्रदेश से आए मजदूरों के विरोध के लिए जाना जाता हो, लेकिन एक किताब में दावा किया गया है कि खुद उनके पूर्वज बिहार से थे।
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे पर लिखी गई इस किताब में ये दावा उनके दादा और बाल ठाकरे के पिता प्रबोधनकार केशव सीताराम की एक किताब के आधार पर किया गया है, जिसमें उनकी जड़ें बिहार से बताई गई हैं।
किताब
पत्रकार धवल कुलकर्णी की किताब में किया गया दावा
'द कजिन्स ठाकरे: उद्धव, राज एंड शैडो ऑफ देयर सेनाज' नामक इस किताब को धवल कुलकर्णी ने लिखा है।
किताब में बाल ठाकरे के पिता प्रबोधनकार की किताब 'ग्राम्यंच सद्यन्त इतिहास अरहत नौकरशाहि बंदे' (ग्राम विवादों और नौकरशाही के विद्रोह का इतिहास) के हवाले से दावा किया गया है कि ठाकरे वंश की जड़ें बिहार से हैं और जिस समुदाय से ठाकरे आते हैं वह सदियों उसने सदियों पहले बिहार से बाहर पलायन किया था।
बिहार संबंध
ईसा से तीन या चार सदी पूर्व किया बिहार से बाहर पलायन
प्रबोधनकार ने अपनी किताब में ठाकरे वंश की जड़े खोजने की कोशिश की है।
इसमें उन्होंने बताया गया है कि ठाकरे चंद्रसेनीय कयस्थ प्रभु (CKP) समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और बिहार के मगध से आते हैं।
ईसा से तीन या चार सदी पूर्व जब मगध के राजा महापद्मनंद ने जब सूदखोरी की शुरूआत की तो CKP समुदाय ने मगध से पलायन कर लिया।
इसके बाद समुदाय ने योद्धा और शास्त्री बनकर अपना जीवन यापन किया।
अन्य खुलासा
घटना जिसने बोया राज और उद्धव ठाकरे के बीच दुश्मनी का बीज
कुलकर्णी की किताब में उद्धव और राज ठाकरे के रिश्ते पर भी रोशनी डाली गई है और कहा गया है कि दोनों के बीच दुश्मनी के बीज दिसंबर 1993 में बोए गए थे।
तब राज ठाकरे ने बेरोजगारी को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा के सामने एक रैली निकाली थी।
रैली से एक दिन पहले राज को मातोश्री (ठाकरे परिवार का घर) से फोन आया और रैली में उद्धव को भी बोलने का मौका देने को कहा गया।
जानकारी
राज को हुआ महसूस, रैली की सफलता के श्रेय में हिस्सा चाहते हैं उद्धव
किताब में ठाकरे परिवार के एक पूर्व करीबी सहयोगी के हवाले से कहा गया है कि राज ठाकरे ये फोन आने के बाद परेशान हो गए और उन्होंने महसूस किया कि उद्धव रैली की सफलता के श्रेय में हिस्सा चाहते हैं।
अलगाव
2006 में शिवसेना से अलग हो राज ठाकरे ने बनाई थी अलग पार्टी
बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे अपनी अलग पार्टी बनाने से पहले शिवसेना में थे।
राज के बोलने और भाषण देने के लहजे के कारण उन्हें बाल ठाकरे का राजनीतिक वारिस माना जाता था।
लेकिन उद्धव के राजनीति में आने के साथ उन्हें शिवसेना में किनारे किए जाने लगा।
इससे नाराज राज ने 2006 में शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का निर्माण किया।
दोनों ही पार्टियां उत्तर भारतीयों के साथ मारपीट के लिए चर्चा में रहती हैं।