#NewsBytesExclusive: लोकतंत्र, EVM और चुनावों पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से खास बातचीत
क्या है खबर?
लोकसभा चुनाव अब कुछ ही दिन दूर है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अपनी 17वीं लोकसभा चुनने के लिए मतदान करेगा।
देश में चल रही लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच हमने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉक्टर एसवाई कुरैशी से खास बातचीत की।
हाल ही में उनकी किताब 'द ग्रेट मार्च ऑफ डेमोक्रेसी: सेवन डेकेड ऑफ इंडियाज इलेक्शन' आई है।
न्यूजबाइट्स के साथ इंटरव्यू में उन्होंने चुनाव, लोकतंत्र और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से जुड़े सवालों के जवाब दिये।
लोकतंत्र
कैसा है भारत का लोकतंत्र
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे भारत को एक 'मजबूत लोकतंत्र' मानते हैं तो उन्होंने कहा कि विविधताओं से भरे भारत का लोकतंत्र समय के साथ मजूबत हुआ है।
ब्रिटिश राज के खात्मे के बाद अधिकतर दुनिया अधिकनायकवाद की चपेट में आ गई, वहीं भारत मजबूती से खड़ा रहा और पहले से मजबूत होता गया।
उन्होंने कहा, "चुनावी तौर पर हम परिपक्व हो गए हैं, लेकिन शासन और सामाजिक भेदभाव के मामले में हमें लंबी दूरी तय करनी है।"
दोषपूर्ण लोकतंत्र
हमारे लोकतंत्र में कई खामियां- कुरैशी
कुरैशी ने कहा, "दुनिया का सबसे सफल लोकतंत्र बनने के लिए हमें अभी बहुत काम करने हैं।"
उन्होंने कहा, "अभी हमारे सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं; असमानता, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार और जातिवाद इनमें सबसे प्रमुख हैं।"
कुरैशी ने कहा, "इस बात में कोई संदेह नहीं कि भारत एक चुनावी अजूबा (Electoral Wonder) है, लेकिन हमारे देश को एक दोषपूर्ण लोकतंत्र के रूप में जाना जाता रहा है।"
EVM
EVM को बताया 'वंडर मशीन'
भारत में चुनावों में हार के बाद सियासी पार्टियां EVM को दोष देती है।
जब हमने कुरैशी से पूछा कि क्या EVM को हैक किया जा सकता है तो उन्होंने कहा, "मेरा जवाब है बिल्कुल नहीं। EVM हमारे लोकतंत्र की 'वंडर मशीन' हैं। कोई भी पार्टी जब विपक्ष में होती है तो वे EVM को दोष देती है। फिर इन्हीं मशीन के सहारे चुनाव जीतकर सत्ता में आ जाती हैं। यह सब उनकी राजनीतिक चाल है।"
चुनाव आयोग
EVM पर संदेह के बीच चुनाव आयोग की भूमिका
पिछले कुछ समय में EVM में छेड़छाड़ के कई मामले सामने आये हैं। इससे लोगों के मन में चुनाव के निष्पक्ष होने पर संदेह होता है। चुनाव आयोग को ऐसे समय में क्या करना चाहिए?
इसके जवाब में कुरैशी ने कहा, "चुनाव आयोग के लिए मतदाताओं का भरोसा जीतना सबसे जरूरी काम है। उन्हें (चुनाव आयोग) को सामने आकर खुलकर बताना होगा कि EVM के साथ छेड़छाड़ किसी भी सूरत में मुमकिन नहीं है।"
एक देश-एक चुनाव
पूरे देश में एक साथ चुनाव पर विचार
पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के सवाल पर कुरैशी ने कहा कि अभी यह अवास्तविक लग रहा है।
उन्होंने कहा, "सुनने में यह विचार बेहद आकर्षक लगता है, लेकिन हर राज्य की अपनी अलग राजनीति है। अगर चुनाव के बाद कुछ विधायक दूसरी पार्टी में चले जाएं तो क्या होगा? वहीं अगर लोकसभा को समय से पहले भंग कर दिया जाए तो ऐसी स्थिति में क्या होगा?"
चुनावी सुधार
क्या होने चाहिए सबसे जरूरी सुधार
डॉक्टर कुरैशी ने भारतीय चुनावी प्रणाली में सबसे जरूरी सुधार पर भी बात की। उन्होंने कहा, "पैसे का दुरुपयोग रोकने के लिए राज्य द्वारा सियासी पार्टियों की फंडिंग करना और दागी नेताओं को राजनीति में आने से रोकना, ये दो सबसे जरूरी सुधार होने चाहिए।"
उन्होंने कहा, "यह सही समय है सियासी पार्टियों को मिलने वाली कॉर्पोरेट फंडिंग पर रोक लगे और सभी पार्टियों के लिए कॉमन पूल फंडिंग सिस्टम लागू होना चाहिए।"
चुनावी बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड का विरोध
हमने उनसे पूछा कि क्या चुनावी बॉन्ड ने राजनीतिक फंडिंग को पहले से ज्यादा पारदर्शी बनाया है?
इस पर उन्होंने कहा, "मैं राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए चुनावी बांड की प्रक्रिया के खिलाफ हूं। क्या यह हैरानी की बात नहीं है कि जिस कदम को 'सुधार' बताया जा रहा है उसके समर्थन में बहुत लोग नहीं है।"
चुनाव आयोग और दो पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने इसे लेकर सार्वजनिक तौर पर अपनी चिंताएं व्यक्त की है।
फेक न्यूज
फेक न्यूज और झूठी सूचनाएं
सोशल मीडिया पर फैल रही फेक न्यूज, भड़काऊ बयानबाजी और झूठी सूचनाओं पर उन्होंने कहा कि भारत में दुनियाभर में सबसे ज्यादा फेक न्यूज है।
उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग ने फेसबुक के साथ काम किया है। व्हाट्सऐप पर फॉरवर्ड मैसेज की संख्या सीमित करना और मैसेज का सोर्स पता लगाने जैसे कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है।"
जानकारी
फेक न्यूज रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
कुरैशी ने कहा, "शुरुआत के लिए जो नियम न्यूज मीडिया के लागू हैं, उन्हें सोशल मीडिया पर भी लागू करना चाहिए। न्यू मीडिया के लिए यह जरूरी है। दूसरा, सोशल मीडिया के बदलती जरूरतों के हिसाब से IT कानून को नया रूप देना होगा।"
चुनौतियां
कार्यकाल के दौरान आई चुनौतियां
हमने उनसे पूछा कि आपको अपने कार्यकाल के दौरान किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
इसके जवाव में उन्होंने कहा, "मैं दो चुनौतियों की बात करुंगा। पहला मतदाताओं की उदासीनता और दूसरा पैसे का प्रयोग (Money Power)। मैंने इन दोनों से निपटने के लिए दो अलग डिविजन बनाई थी।"
उन्होंने कहा, "मतदान में भाग लेने के लिए लोगों को शिक्षित करना क्रांतिकारी कदम हो सकता है। वहीं पैसे का अंधाधुध इस्तेमाल लगातार बड़ी समस्या बनी हुई है।"
जानकारी
आपके लिए डॉक्टर कुरैशी का संदेश
डॉक्टर कुरैशी ने न्यूजबाइट्स के पाठकों को संदेश देते हुए कहा, "भारत युवाओं का देश है। उन्हें राजनीतिक तौर पर जागरूक होना होगा। उन्हें चुनावों में सक्रियता से भाग लेना चाहिए और बिना किसी लालच में आए मतदान करना चाहिए। शिकायत छोड़िये, मतदान कीजिए।"