किसान आंदोलन: केंद्र के पास आंकड़े नहीं, पंजाब ने कही 220 किसानों की मौत की बात
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा था कि केंद्र के पास कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों का आंकड़ा नहीं है, लेकिन पंजाब सरकार ने 220 किसानों और मजदूरों की मौत होने की पुष्टि की है। राज्य सरकार अब तक इन किसानों और मजदूरों के परिजनों को 10.86 करोड़ रुपये मुआवजे के तौर पर दे चुकी है। बता दें कि पिछले साल नवंबर से किसान आंदोलन जारी है।
मालवा क्षेत्र के सबसे ज्यादा किसानों की हुई मौत
इंडियन एक्सप्रेस ने पंजाब सरकार के आंकड़ों के हवाले से लिखा है कि 20 जुलाई तक 220 किसान और खेती करने वाली मजूदरों की मौत हो चुकी है। इनमें से 203 मालवा, 11 माझा और छह दोआबा क्षेत्र के रहने वाले थे। दूसरी तरफ संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि आंदोलन के दौरान 400 से ज्यादा किसान जान गंवा चुके हैं। पंजाब सरकार के सूत्रों ने कहा है कि बाकी मौतों का सत्यापन किया जा रहा है।
संगरुर जिले के सर्वाधिक 43 किसानों की मौत
राज्य सरकार ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले हर किसान के परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया है। संगरुर जिले के सबसे ज्यादा 43 किसानों की आंदोलन के दौरान मौत हुई है। और सरकार ने जिले में 2.13 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया है। संगरुर के बाद भठिंडा के 33, मोगा के 27, पटियाला के 25, बरनाला के 17, मानसा के 15, मुक्तसर साहिब के 14 और लुधियाना के 14 किसानों की मौत हुई है।
दो दर्जन मौतों के सत्यापन की प्रक्रिया जारी
इनके अलावा फाजिल्का, फिरोजपुर और गुरदासपुर के क्रमश: सात, छह औऱ पांच, अमृतसर और नवांशहर में चार-चार, मोहाली और तरनतारन में तीन और दो, जालंधर और कपूरथला के एक-एक किसान की आंदोलन के दौरान मौत हुई है। सूत्रों ने बताया कि अलग-अलग जिलों में करीब दो दर्जन और मौतों के सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है और इन्हें भी आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मौत की सूची में शामिल किया जा सकता है।
जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मिलेगी सरकारी नौकरी
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार मृत किसानों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी देगी और इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
किसान संगठनों ने कही 500 से अधिक मौतों की बात
किसान संगठन भी अपने स्तर पर ऐसी मौतों के आंकड़े जुटा रहे हैं। उनका कहना है कि आंदोलन के 500 से अधिक मौतें हो चुकी हैं, जिनमें से 85 प्रतिशत से अधिक मृतक पंजाब के रहने वाले थे। इन आंकड़ों में वो मौतें भी शामिल हैं, जो पंजाब में कृषि कानूनों के विरोध के दौरान हुई थी। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि आंदोलन के दौरान कई राज्यों के किसानों की जानें गई हैं।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।