
पंजाब शिक्षा विभाग के कैलेंडर में 365 नहीं बल्कि एक साल में हैं 372 दिन, जानें
क्या है खबर?
ऐसा लगता है जैसे पंजाब शिक्षा विभाग बहुत जल्दी में था और उन्होंने 365 दिन के बजाय साल में 372 दिन वाला कैलेंडर जारी कर दिया।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पाँच दिन पहले फरवरी, अप्रैल, जून, सितंबर और नवंबर में 31 दिनों के साथ एक हज़ार कैलेंडर जारी किए गए थे।
वहीं मामले पर अधिकारियों का कहना है कि प्रिंटिंग प्रेस में गलती हुई है और विभाग कैलेंडर को वापस मंगाने की योजना बना रहा है।
बयान
जाँच के लिए वापस मँगाया कैलेंडर
पंजाब स्कूल शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने कहा, "त्रुटि के बाद सुर्खियों में आने के बाद हम पहले से ही कैलेंडर को वापस मँगा चुके हैं और इस मामले की जाँच कर रहे हैं।"
'समागम शिक्षा अभियान' के तहत जारी किया गया कैलेंडर पंजाब के मनसा जिले में कई निजी और सरकारी स्कूलों की दीवारों पर देखा जा सकता है।
मनसा जिला शिक्षा अधिकारी राजिंदर कौर ने यह कहा कि प्रिंटिंग प्रेस ने त्रुटियाँ की हैं।
जानकारी
क्या है समागम शिक्षा अभियान?
केंद्रीय शिक्षा अभियान की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह केंद्रीय बजट 2018-19 में प्रस्तावित है। योजना का दृष्टिकोण शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य पूर्व-विद्यालय से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक सामवेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता शिक्षा सुनिश्चित करना है।
जानकारी
धन का अपव्यय, छात्र कल्याण के लिए उपयोग किया जाना चाहिए- AAP MLA
आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए विपक्ष द्वारा त्रुटि को जल्दी प्रकाश में लाया गया।
बुढलाडा (पंजाब) के आम आदमी के विधायक बुध राम ने कहा, "यह धन का अपव्यय है, जिसका उपयोग छात्रों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। विभाग को गलती की जाँच करनी चाहिए और अधिकारियों की ज़िम्मेदारी तय करनी चाहिए।"
इसके साथ ही यह कैलेंडर आदर्श आचार संहिता का उलंघन भी करता है।
जानकारी
शिक्षकों के यूनियन ने बताया आचार संहिता का उलंघन
हरदीप सिद्धू, करमजीत सिंह तमकोट और नरिंदर सिंह माखा सहित शिक्षक यूनियन के नेताओं ने कहा कि आम चुनावों की वजह से कैलेंडर जल्दी में जारी किए गए थे। यह सरकारी योजनाओं पर प्रकाश डालता है, इसलिए यह आचार संहिता का उलंघन करता है।
आचार संहिता
सरकारी संपत्ति पर कोई विज्ञापन नहीं देती है आदर्श आचार संहिता
आदर्श चुनाव आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का एक सेट है, जो चुनावों के लिए राजनीतिक दलों पर नज़र रखने के लिए और चुनाव की तारीख़ों की घोषणा के बाद लागू होता है।
राजनीतिक दल ट्रेन, हवाई जहाज और सरकारी बुनियादी ढाँचे जैसी किसी भी सार्वजनिक संपत्ति पर सरकार के पैसे का उपयोग करने विज्ञापन नहीं दे सकते हैं।
साथ ही कोई सार्वजनिक उपक्रम पार्टियों के लिए समर्थन नहीं ले सकता है।