बंगाल: 5 अप्रैल को राकेश टिकैत के नेतृत्व में ट्रैक्टर मार्च, भाजपा के खिलाफ करेंगे प्रचार
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेता पश्चिम बंगाल में लोगों से भाजपा के खिलाफ वोट डालने की अपील कर रहे हैं। इस कड़ी में शुक्रवार को कोलकाता में एक महापंचायत भी आयोजित की गई थी। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए किसान 5 अप्रैल को बंगाल में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। इसका नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत करेंगे। टिकैत ने कहा, "प्रधानमंत्री हेलिकॉप्टर से चलेंगे और हम पीछे-पीछे ट्रैक्टर से चलेंगे।"
भाजपा की हार सुनिश्चित करना जरूरी- टिकैत
टिकैत ने द टेलीग्राफ से कहा, "अब भाजपा के खिलाफ लड़ाई बंगाल में जारी है। इसलिए हमें यहां होने की जरूरत है। मैं 5 अप्रैल को ट्रैक्टरों के साथ बंगाल पहुंच रहा हूं ताकि भाजपा की हार सुनिश्चित की जा सके।" उन्होंने कहा कि केंद्र में बैठी भाजपा किसानों और आम लोगों पर जो 'कंपनी राज' थोपने की योजना बना रही है उसका पर्दाफाश करना जरूरी है। गौरतलब है कि बंगाल में इसी महीने से चुनाव शुरू हो रहे हैं।
किसी राजनीतिक दल के समर्थन नहीं मांगेंगे किसान संगठन
भारतीय किसान यूनियन किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को कोलकाता में एक रैली आयोजित की और किसानों से पश्चिम बंगाल के साथ-साथ केरल, असम, तमिलनाडु और पुडुचेरी में भाजपा को हराने की अपील की। इन सभी राज्यों और केद्र शासित प्रदेश में अगले कुछ हफ्तों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। हालांकि, मोर्चा ने कहा कि वो किसी राजनीतिक दल के लिए समर्थन नहीं मांगेगा।
आसनसोल और सिंगूर भी जाएंगे किसान नेता
शनिवार को भी किसान मोर्चा के नेता कोलकाता में दो और नंदीग्राम में एक रैली को संबोधित कर लोगों से भाजपा को वोट न देने की अपील करेंगे। 14 मार्च को इनमें से कुछ नेता आसनसोल और सिंगुर जाकर भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे। टिकैत ने कहा, "हम लोगों से भाजपा को छोड़कर अपनी मर्जी की किसी भी पार्टी को वोट देने को कहेंगे। भाजपा को वोट देना राष्ट्रहित के खिलाफ है।"
सत्ता की लालची भाजपा को सबक सिखाने की जरूरत- मोर्चा
चुनावी राज्यों में लोगों से भाजपा के खिलाफ वोट देने की अपील करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह सत्ता की भूखी और किसान विरोधी भाजपा को सबक सिखाने का समय है। मोर्चा ने कहा, "हम समझ चुके हैं कि मोदी सरकार भरोसे, अच्छाई, न्याय और संवैधानिक मूल्यों की भाषा नहीं समझती है। यह वोट, सीट और सत्ता की भाषा समझती है। आपके पास उसकी सत्ता, सीट और वोट की भूख को चोट पहुंचाने की ताकत है।"
किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
किसान आंदोलन में फिलहाल क्या चल रहा है?
किसानों और सरकार के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए 11 दौर की औपचारिक बात हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट इन कानूनों के अमल पर अस्थायी रोक लगा चुका है। गणतंत्र दिवस को किसानों ने कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर रैली निकाली थी, जिसमें जमकर हिंसा हुई। 26 मार्च को आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया है।