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    टिकरी बॉर्डर पर पक्के मकान बना रहे किसान, आंदोलन को लंबा चलाने पर नजर
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    टिकरी बॉर्डर पर पक्के मकान बना रहे किसान, आंदोलन को लंबा चलाने पर नजर

    लेखन मुकुल तोमर
    Mar 13, 2021
    01:13 pm
    टिकरी बॉर्डर पर पक्के मकान बना रहे किसान, आंदोलन को लंबा चलाने पर नजर

    कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को लंबा खिंचता देख किसानों ने दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर ईंटों के पक्के मकान बनाना शुरू कर दिया है। सीमेंट और ईंटों की मदद से अब तक 8-10 मकान खड़े किए जा चुके हैं और अन्य कई मकान बनाए जा रहे हैं। इन मकानों की छत छप्पर की है और इनमें लगने वाला सारा सामान किसान अपने पैसे से ला रहे हैं। एक मकान पर 20,000-30,000 रुपये का खर्च आ रहा है।

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    मिट्टी, सीमेंट और ईंटों से बनाए जा रहे मकान

    NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, टिकरी बॉर्डर पर कहीं मिट्टी की मदद से ईंटों को जोड़ा जा रहा है और इसके ऊपर से सीमेंट लगाया जाएगा, वहीं कहीं सीधे सीमेंट और ईंटों से मकान बनाए जा रहे हैं। इनके ऊपर छप्पर की छत डाली जा रही है और दरवाजे लगाने के लिए चौखट भी लग चुकी हैं। मकानों में खिड़कियां भी बनाई गई हैं और गर्मियों में इनके बाहर कूलर रखे जाएंगे।

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    किसान ही मजदूर और किसान ही मिस्त्री

    मकानों को बनाने के लिए किसानों को केवल ईंट और सीमेंट आदि के पैसे देने पड़ रहे हैं और बाकी सभी चीजें वे खुद कर रहे हैं। किसानों के बीच ही ऐसे कई लोग मौजूद हैं जो मिस्त्री हैं और वही इन मकानों को बना रहे हैं। इसके लिए वे साथी किसानों से कोई कीमत नहीं ले रहे हैं। मजदूरी भी किसान खुद ही कर रहे हैं। इसके अलावा छप्पर डालने का सामान किसान अपने गांव से लेकर आए हैं।

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    इस कारण बनाए जा रहे हैं पक्के मकान

    अचानक से धरना स्थल पर पक्के मकान क्यों बनाए जा रहे हैं, इस पर किसानों का कहना है कि अब तक वे ट्रॉलियों में रह रहे थे, लेकिन अब गांवों में गेहूं की कटाई शुरू होने वाली है और ट्रैक्टर-ट्रॉली वहां चले जाएंगे। इसके अलावा किसान खराब मौसम का भी हवाला दे रहे हैं। उनके अनुसार, बारिश और आंधी आने से अस्थायी आशियाने बर्बाद हो जाते हैं, इसलिए भी पक्के मकान बनाए जा रहे हैं।

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    देश के अंदरूनी इलाकों में हुआ है किसान आंदोलन का विस्तार

    ये पक्के मकान ऐसे समय पर बनाए जा रहे हैं, जब किसानों ने आंदोलन का विस्तार दिल्ली बॉर्डर से देश के अंदरूनी इलाकों में कर दिया है। बॉर्डर पर स्थित धरना स्थलों से भीड़ कम करके किसान जिले-जिले जाकर महापंचायतें कर रहे हैं और लोगों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा किसान नेता जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां जाकर लोगों से भाजपा के खिलाफ वोट देने की अपील भी कर रहे हैं।

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    क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?

    मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।

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