किसानों ने आंदोलन की मजबूती के लिए बनाई योजना, जुलाई में होगी दो रैली- राकेश टिकैत
नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को शनिवार को सात महीने पूरे हो गए हैं। इसके बाद भी किसान अपनी मांगों को लेकर पर अडिग है। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि सरकार बिना ट्रैक्टर के नहीं मानती है। ऐसे में अब जुलाई के महीने में दो ट्रैक्टर रैली निकालने का निर्णय किया गया है।
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
मांगों के लिए कई तरह के विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं किसान
बता दें कि किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कई तरह के विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। इसके तहत 8 दिसंबर, 2020 को भारत बंद, 26 जनवरी को टै्रक्टर परेड, 6 फरवरी को चार घंटे चक्का जाम, 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन, 26 मार्च को फिर से भारत बंद सहित कई विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। इस दौरान लोगों को तो परेशानी झेलनी पड़ी, लेकिन सरकार के साथ उनकी बात नहीं बन सकी है।
किसान संगठनों की सरकार के साथ विफल रही सभी 11 वार्ताएं
इस मामले में सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ताएं भी हुई है, लेकिन किसानों के कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहने के कारण कोई सामाधान नहीं निकला। खास बात यह रही कि सरकार ने किसानों को कानूनों को 18 महीने तक लागू नहीं करने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसानों ने 22 जनवरी को आखिरी वार्ता में कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग करते हुए उसे खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर लगाई रोक
इस बीच किसानों ने मामले में सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था। इस पर शीर्ष अदालत ने अगले आदेश तक तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से ही किसान कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं।
आंदोलन को सात महीने पूरे होने पर किसानों ने किया प्रदर्शन
आंदोलन को सात महीने पूरे होने को लेकर किसानों ने आज 'कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस' के रूप में मनाया। शनिवार को पंजाब और हरियाणा से सैकड़ों किसानों ने राजभवन की ओर मार्च किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। बाद में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चादुनी और योगेंद्र यादव ने चंडीगढ़ में पुलिस उपायुक्त और अन्य अधिकारियों को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा और वापस लौट आए।
किसानों ने बैठक कर बनाई आंदोलन को मजबूत करने की योजना
राकेश टिकैत ने कहा, "आज की बैठक में हमने अपने आंदोलन को मजबूत करने का निर्णय लिया है। हमने दो और ट्रैक्टर रैली निकालने का फैसला किया है। एक रैली 9 जुलाई को निकाली जाएगी, जो 10 जुलाई को सिंघु बॉर्डर पहुंचगी। इसमें शामली और बागपत के लोग शामिल होंगे।" उन्होंने आगे कहा, "दूसरी रैली 24 जुलाई को होगी। उसमें बिजनौर और मेरठ के लोग होंगे। इस रैली में शामिल लोग 25 जुलाई को गाजीपुर बॉर्डर पहुंचेंगे।"
किसानों का अस्पताल है संसद- टिकैत
टिकैत ने कहा, "संसद तो किसानों का अस्पताल है। वहां हमारा इलाज होगा। हमें पता चला हैं कि किसानों का इलाज AIIMS से अच्छा तो संसद में होता है। हम अपना इलाज वहां कराएंगे। जब भी दिल्ली जाएंगे, हम संसद में जाएंगे।" उन्होंने कहा, "हमारे जिन प्रदर्शनकारियों को पकड़ा गया है, उन्हें या तो तिहाड़ जेल भेजो या फिर राज्यपाल से मुलाकात कराओ। हम आगे बताएंगे कि दिल्ली का क्या इलाज करना है। दिल्ली बगैर ट्रैक्टर के नहीं मानती है।"