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    नागरिकता संशोधन बिल को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, इन इलाकों में लागू नहीं होगा नया कानून

    नागरिकता संशोधन बिल को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, इन इलाकों में लागू नहीं होगा नया कानून

    लेखन मुकुल तोमर
    Dec 13, 2019
    11:44 am

    क्या है खबर?

    राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरूवार को नागरिकता (संशोधन) बिल को अपनी मंजूरी दे दी। उनकी मंजूरी के बाद अब ये एक कानून बन गया है।

    गुरूवार को सरकारी राजपत्र में छपने के बाद ये लागू भी हो गया है।

    इस कानून में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

    देश के इतिहास में ये पहली बार है जब नागरिकता को धर्म से जोड़ा गया है।

    नागरिकता कानून

    क्या है नए नागरिकता कानून में?

    राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद प्रभावी हुए नए नागरिकता कानून के अनुसार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के जो लोग 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए थे, उन्हें भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी।

    इसके बाद आने वाले इन धर्मों के लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता दे दी जाएगी। पहले सबकी तरह उन्हें 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था।

    कानून से बाहर

    इन इलाकों में लागू नहीं होगा नया कानून

    नया कानून संविधान की छठवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में प्रभावी नहीं होगा।

    इसके अलावा इनर लाइन परमिट (ILP) के तहत आने वाले इलाकों के अंतर्गत आने वाले अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम में भी ये कानून लागू नहीं होगा।

    पूर्वोत्तर राज्यों में असम और त्रिपुरा मुख्यतौर पर इसकी जद में आएंगे और इन दोनों राज्यों में इसके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।

    विरोध

    क्यों हो रहा है कानून का विरोध?

    भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता और धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की अवधारणा के खिलाफ पहली बार नागरिकता को धर्म से जोड़ने और मुस्लिम समुदाय के लोगों को इससे बाहर रखने इस कानून का विरोध हो रहा है।

    वहीं पूर्वोत्तर के राज्यों में भी भाषाई और सांस्कृतिक कारणों से इसका विरोध हो रहा है। उन्हें डर है कि बांग्लादेश से आए हिंदुओं को नागरिकता मिलने पर वो अपने ही जमीन पर अल्सपंख्यक बन जाएंगे।

    जानकारी

    पंजाब और त्रिपुरा ने कहा, नहीं करेंगे कानून को लागू

    कानून के चौतरफा विरोध के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी अपने-अपने राज्यों में इस कानून को लागू न होने देने की बात कही है।

    बयान

    विजयन बोले, धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए भेदभाव

    वामपंथी दलों की सरकार का नेतृत्व कर रहे विजयन ने गुरुवार को कहा, "सुप्रीम कोर्ट कई मौकों पर ये साफ कर चुका है कि संविधान की बुनियादी संरचना को कमजोर नहीं किया जा सकता। इसलिए साफ है कि ये कानून कानूनी पैमानों पर खरा नहीं उतरेगा। ये साफ होने के बावजूद सत्ता के घमंड में ऐसा अंसवैधानिक कानून पारित करने के पीछे राजनातिक उद्देश्य हैं। केरल इसे लागू नहीं करेगा। धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा।"

    बयान

    अमरिंदर सिंह बोले, देश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने नहीं देंगे

    वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह नए नागरिकता कानून को भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि इसे पंजाब में लागू नहीं किया जाएगा।

    उन्होंने कहा, "विधानसभा में हमारे पास बहुमत है और हम बिल को रोकेंगे। हम इसे देश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने नहीं देंगे जिसका ताकत विविधता में है।"

    ट्वीट करते हुए उन्होंने नए कानून को अवैध, अनैतिक और असंवैधानिक बताया है जो देश को धर्म के आधार बांटना चाहता है।

    ट्विटर पोस्ट

    "विविधता में है भारत की असली ताकत"

    Any legislation that seeks to divide people on religious lines is illegal, unethical unconstitutional. India's strength lies in its diversity and #CABBill2019 violates the basic principle of the constitution. Hence my govt will not allow the bill to be implemented in Punjab.

    — Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) December 12, 2019

    बयान

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी कानून को बताया असंवैधानिक

    वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी नए नागरिकता कानून को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी के मंच से बिल पर जो भी फैसला लिया जाएगा, छत्तीसगढ़ में भी वहीं लागू होगा।"

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