प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा नहीं लेंगी ममता बनर्जी और केरल के मुख्यमंत्री
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा नहीं लेंगी। भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल में "राजनीतिक हिंसा" में मारे गए 50 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों को शपथ समारोह के लिए विशेष आमंत्रण भेजने के विरोध में ममता ने यह फैसला लिया है। ममता के अलावा केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने भी शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया, जिसका कारण अभी साफ नहीं है।
ट्वीट कर दी ममता ने जानकारी
ममता ने ट्वीट कर अपने इस फैसले की जानकारी दी। ट्वीट में उन्होंने लिखा, "शपथ ग्रहण समारोह लोकतंत्र का जश्न बनाने का एक पवित्र मौका है, न कि ऐसा मौका जिसका कोई राजनीतिक पार्टी अवमूल्यन करे।"
ममता ने राजनीतिक हिंसा में हत्या की बात को बताया झूठ
ट्वीट के साथ जारी अपने बयान में ममता ने प्रधानमंत्री मोदी को शुभकामनाएं देते हुए लिखा है, "मेरी योजना 'संवैधानिक निमंत्रण' को स्वीकार करने और शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने की थी। हालांकि, पिछले एक घंटे से मैं मीडिया रिपोर्ट में देख रही हूं कि भाजपा दावा कर रही है कि बंगाल में राजनीतिक हिंसा में 54 लोगों की हत्या हुई है।" उन्होंने लिखा, "ये बिल्कुल झूठ है। बंगाल में कोई भी राजनीतिक हत्या नहीं हुई।"
ममता ने कहा- हमारे पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं
ममता ने कहा है, "इन मौतों का कारण व्यक्तिगत दुश्मनी, पारिवारिक झगड़े और अन्य विवाद हो सकते हैं, लेकिन इनका राजनीति से कोई भी संबंध नहीं है। हमारे पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है।"
'राजनीति करने का मौका नहीं शपथ ग्रहण समारोह'
भाजपा के इस "झूठ" के कारण ममता ने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होने का फैसला लिया है। उन्होंने लिखा है, "नरेंद्र मोदी जी, मैं क्षमापार्थी हूं कि इसने मुझे समारोह में भाग न लेने के लिए बाध्य किया है।" उन्होंने लिखा है, "समारोह लोकतंत्र का जश्न बनाने का एक पवित्र मौका है, न कि ऐसा मौका जिसका कोई राजनीतिक पार्टी अवमूल्यन करे और इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करे। मुझे क्षमा करें।"
ममता ने कहा, राजनीति करने की जगह नहीं है शपथ ग्रहण समारोह
मोदी-शाह ने लिया था मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों को बुलाने का फैसला
बता दें कि मंगलवार रात प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बीच हुई 5 घंटे की मैराथन बैठक के बाद बंगाल की राजनीतिक हिंसा में मरने वाले 50 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों को शपथ ग्रहण समारोह का विशेष आमंत्रण देने का फैसला लिया था। उसके इस फैसले को 2021 में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपने कार्यकर्ताओं और ममता के लिए संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
विजयन के न आने का कारण साफ नहीं
वहीं, केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने क्यों शपथ ग्रहण में हिस्सा लेने से इनकार किया, इसका कारण साफ नहीं है। बता दें कि केरल देश में एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां वामदलों की सरकार है। कांग्रेस ने राज्य में 15 लोकसभा सीटें जीती हैं।