नागरिकता (संशोधन) बिल: असम में हिंसक प्रदर्शन जारी, पुलिस ने चलाई गोलियां, इंटरनेट बंद
क्या है खबर?
नागरिकता (संशोधन) बिल के खिलाफ असम में हो रहे प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
बुधवार रात को राज्य के कई जिलों में कर्फ्यू लगाने और इंटरनेट बंद करने के बावजूद गुरूवार को भी हिंसक प्रदर्शन जारी रहे।
कुछ जगहों पुलिस के प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का मामला भी सामने आया है।
प्रदर्शन के बीच गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त दीपक कुमार को निलंबित कर दिया गया है और इंटरनेट पर पाबंदी को बढ़ा दिया गया है।
जानकारी
नागरिकता बिल संसद में पेश किए जाने के बाद से ही हो रहे प्रदर्शन
बता दें कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख और ईसाई धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता देने वाले नागरिकता (संशोधन) बिल के संसद में पेश होने के बाद से ही असम में प्रदर्शन हो रहे हैं।
प्रदर्शन
सुबह से ही लोगों ने शुरू कर दिया कर्फ्यू का उल्लंघन
बता दें कि गुवाहाटी में आज सुबह से ही लोगों ने कर्फ्यू को उल्लंघन करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया था। लोगों ने कई जगह आगजनी की जिसमें बसों और टायरों समेत कई चीजों को जलाया गया।
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने भी शहर में प्रदर्शन किया।
वहीं कृषक मुक्ति संग्राम समिति ने लोगों से अपील की है कि वे सड़कों पर उतरें और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करें।
इससे पहले सुबह सेना ने शहर में फ्लैग मार्च किया।
गोलीबारी
लालुंगगांव में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर चलाई गोलियां
इस बीच पुलिस के लालुंगगांव में प्रदर्शनकारी पर गोली चलाने की बात भी सामने आई है।
घटना में घायल हुए लोगों पर पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है लेकिन प्रदर्शनकारियों ने कम से कम चार लोगों के घायल होने का दावा किया है।
इन सभी प्रदर्शनों को देखते हुए राज्य के 10 जिलों में लगी इंटरनेट पर पाबंदी को अगले 48 घंटे के लिए बढ़ा दिया गया है।
जानकारी
गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त को हटाया गया
राजधानी गुवाहाटी में हो रहे प्रदर्शनों को रोकने में असफल रहने पर राज्य की भाजपा सरकार ने गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त दीपक कुमार को हटा दिया है। उनकी जगह मुन्ना प्रसाद गुवाहाटी के नए पुलिस आयुक्त होंगे।
हमला
RSS और भाजपा के कार्यालयों पर किया गया हमला
इस बीच प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भाजपा के कार्यालयों पर हमले की घटनाएं भी सामने आईं हैं।
RSS ने डिब्रूगढ़, साद्या और तेजपुर के अपने कार्यालयों पर हमले की बात कही है।
प्रदर्शनकारियों ने भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद के नेताओं के घरों पर भी हमले किए।
इससे पहले बुधवार रात को उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्रीय मंत्री रामेश्वर तेली के घर को निशाना बनाया था।
बयान
मुख्यमंत्री ने की शांति बनाए रखने की अपील
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, "कुछ लोग झूठी खबर फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं आम जनता से अपील करता हूं कि शांति बनाए रखें और किसी भी तरह की हिंसा में शामिल नहीं हों।"
आश्वासन
प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था असम के लोगों को आश्वासन
गुरुवार सुबह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर असम के लोगों को आश्वासन दिया था।
उन्होंने लिखा कि वो और केंद्र सरकार असमी लोगों के राजनीतिक, भाषाई, सांस्कृतिक और जमीन के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
वहीं मुख्यमंत्री सोनोवाल ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा, 'कुछ लोग झूठी खबर फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं आम जनता से अपील करता हूं कि किसी भी तरह की हिंसा में शामिल नहीं हों।'
कारण
क्यों विरोध कर रहे हैं असम के लोग?
असम में घुसपैठ को धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाता और उन्हें बांग्लादेश से आए किसी भी धर्म के व्यक्ति से समान दिक्कत है।
उनका कहना है कि नागरिकता (संशोधन) बिल 1985 में हुए असम समझौते को अमान्य कर देगा जिसमें 1971 के बाद असम में आने वाले किसी भी धर्म के विदेशी नागरिक को निर्वासित करने की बात कही गई है।
उन्हें अपनी भाषाई और सांस्कृतिक पहचान खोने का डर है।