बांग्लादेश चुनावः शेख हसीना की एकतरफा जीत, विपक्ष ने खारिज किए चुनाव परिणाम
बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग ने आम चुनावों में लगातार तीसरी बार बड़ी जीत दर्ज की है। कुल 300 में से 299 सीटों पर हुए चुनाव में अवामी लीग ने 266 और उसकी सहयोगी जातीय पार्टी ने 21 सीटों पर जीत हासिल की है। विपक्षी दल यूनिटी फ्रंट को महज सात सीटों पर जीत मिली है। बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने इन नतीजों की घोषणा की है। हालांकि, विपक्ष ने चुनावों में धांधली का आरोप लगाया है।
चुनाव के दौरान हिंसा में 17 लोगों की मौत
कुल 300 सदस्यों वाले सदन के लिए रविवार को मतदान हुए। इस दौरान हिंसा और तनाव की घटनाओं में एक सुरक्षाकर्मी, सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं समेत 17 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। चुनावों के दौरान शांति बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग ने छह लाख से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया था, लेकिन फिर भी हिंसा की घटनाएं हुईं। रविवार को हुई हिंसा में मरने वाले में ज्यादातर अवामी लीग के कार्यकर्ता हैं।
शेख हसीना के विरोधी को मिले केवल 123 वोट
प्रधानमंत्री बनने जा रहीं शेख हसीना को गोपालगंज निर्वाचन क्षेत्र से 2,29,539 वोट मिले, जबकि उनकी विरोधी उम्मीदवार को केवल 123 वोट हासिल हुए। वहीं अवामी लीग के तरफ से चुनाव लड़ रहे क्रिकेटर मशर्फी बिन मुतर्जा ने भी चुनाव जीत लिया है।
विपक्ष ने चुनाव परिणामों को खारीज किया
विपक्ष ने इन चुनावों में धांधली का आरोप लगाते हुए नतीजों को खारिज कर दिया है। BNP के एक प्रवक्ता ने कहा कि 221 सीटों पर धांधली हुई है। मुख्य विपक्षी गठबंधन नेशनल यूनिटी फ्रंट (NUF) ने निष्पक्ष कार्यवाहक सरकार के अधीन फिर से चुनाव कराने की मांग की है। इस गठबंधन में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), गोनो फोरम, जातीय समाजतांत्रिक दल (JSD), नागोरिक ओइकिया और कृषक श्रमिक जनता लीग शामिल हैं।
बांग्लादेश में पहली बार इस्तेमाल हुई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन
बांग्लादेश में आम चुनावों के दौरान पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल किया गया। हालांकि, यह सीमित संख्या में ही किया गया। कुल 299 संसदीय क्षेत्रों में से केवल छह क्षेत्रों में EVM प्रयोग में लाई गई। इस दौरान कई जगहों पर EVM में तकनीकी खामी की खबरें भी सामने आईं और लोगों को मतदान के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। बता दें कि भारत में EVM के इस्तेमाल को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है।