किसानों के विरोध के बीच राष्ट्रपति ने दी कृषि विधेयकों को मंजूरी, अधिसूचना जारी
क्या है खबर?
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को संसद द्वारा पारित किए गए तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दे दी है।
इसके साथ ही ये विधेयक कानून बन गए हैं। केंद्र सरकार ने इनकी अधिसूचना जारी कर दी है।
इन विधेयकों के खिलाफ कई राज्यों में किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
यहां तक की भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) भी इन विधेयकों को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन (NDA) से अलग हो चुकी है।
जानकारी
5 जून को जारी अध्यादेशों की जगह लेंगे नए कानून
संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद अब इन विधेयकों पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में 5 जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
कृषि विधेयक
ये तीन विधेयक बने कानून
कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए मोदी सरकार कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक लेकर आई थी।
विपक्ष और किसानों के भारी विरोध के बीच इसी सप्ताह संसद ने इन विधेयकों को पारित कर दिया था।
हालांकि, इसे लेकर राज्यसभा में अप्रत्याशित हंगामा देखने को मिला था, जिसके बाद कई सांसदों को निलंबित किया गया था।
ट्विटर पोस्ट
ये विधेयक बने कानून
President gives his assent to the three #FarmBills :
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 27, 2020
▪️Farmers' Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020
▪️Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Bill, 2020
▪️Essential Commodities (Amendment) Bill 2020 pic.twitter.com/PmjG4jNopC
प्रतिक्रिया
शिरोमणि अकाली दल ने बताया देश के लिए काला दिन
राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों को मंजूरी दिए जाने पर SAD के प्रमुख एसएस बादल ने कहा कि यह भारत के लिए काला दिन है कि राष्ट्रपति देश की भावनाओं के अनुरूप काम नहीं कर पाए। उन्हें उम्मीद थी कि राष्ट्रपति SAD और दूसरी विपक्षी पार्टियों की मांग पर इन विधेयकों को चर्चा के लिए फिर से संसद में भेज देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
गौरतलब है कि SAD ने इन विधेयकों को लेकर सरकार पर भी निशाना साधा है।
विरोध
विपक्ष ने राष्ट्रपति से की थी विधेयकों पर हस्ताक्षर न करने की अपील
संसद से विधेयक पारित होने के बाद विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर इनको मंजूरी न देने की मांग की थी।
इस मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि ये विधेयक सही तरीके से पास नहीं हुए हैं।
उन्होंने राष्ट्रपति से विधेयकों को वापस भेजने की मांग की थी ताकि इन पर चर्चा हो सके। विपक्ष ने राष्ट्रपति से यह भी मांग की थी कि वो इन विधेयकों पर हस्ताक्षर न करें।
सरकार का पक्ष
विधेयकों को ऐतिहासिक बता चुके हैं प्रधानमंत्री मोदी
वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने इस विधेयकों का विरोध करने वाले विपक्षी दलों पर करारा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि किसानों से जिन्होंने हमेशा झूठ बोला है वो लोग इन दिनों अपने राजनीतिक स्वार्थ की वजह से किसानों के कंधे पर बंदूक फोड़ रहे हैं।
अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कृषि विधेयकों के पारित होने के बाद किसानों को अब उनकी इच्छा के अनुसार, जहां ज्यादा दाम मिले वहां बेचने की आजादी मिल गई है।
विरोध की वजह
विधेयकों के किन प्रावधानों का विरोध हो रहा है?
विपक्षी दलों के साथ-साथ देशभर के किसान संगठन और आढ़ती भी इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं।
उनका कहना है कि इन कानूनों के जरिये सरकार फसलों पर दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सरकारी मंडी की व्यवस्था खत्म करना चाहती है।
हालांकि, सरकार का कहना है कि MSP व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी।
इन विधयकों के प्रावधान और उनके विरोध की वजहें विस्तार से जानने के लिए यहां टैप करें।
क्या आप जानते हैं?
हरियाणा और पंजाब में विरोध मुखर क्यों?
देश के अन्य राज्यों की तुलना में हरियाणा और पंजाब में इन विधेयकों का ज्यादा विरोध हो रहा है। पंजाब के सभी राजनीतिक दल किसानों के पक्ष में खड़े हैं। हरियाणा-पंजाब में इसका विरोध मुखर होने की वजह आप यहां टैप कर जान सकते हैं।