हरियाणा में भाजपा ने तोड़ा अपने ही सहयोगी शिरोमणि अकाली दल का विधायक, नाराज हुए बादल
पिछले सालों से चुनावों से पहले विपक्षी नेताओं का भारतीय जनता पार्टी में आना शुरू हो जाता है। अभी तक भाजपा केवल विपक्षी नेताओं को तोड़कर अपने पाले में लाती थी। अब पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के विधायकों को भी तोड़ना शुरू कर दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कालांवाली सीट से शिरोमणि अकाली दल (SAD) के विधायक भाजपा में शामिल हुए। इसे लेकर SAD प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भाजपा पर हमला बोला है।
भाजपा ने किया गठबंधन की मर्यादा का उल्लंघन- बादल
गुरुवार को कालांवाली से विधायक बलकौर सिंह भाजपा में शामिल हुए। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की राज्य में ईमानदार सरकार चलाने के लिए प्रशंसा की। हालांकि, उनका यह कदम उनकी पार्टी को पसंद नहीं आया। बादल ने कहा कि हर रिश्ते की एक मर्यादा होती है। SAD के मौजूदा विधायक को भाजपा में शामिल करना गठबंधन की मर्यादा का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन दिल्ली और पंजाब में है। हरियाणा में पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी।
भाजपा का कदम निंदनीय- बादल
बादल ने कहा कि भाजपा ने SAD विधायक को तोड़कर जो किया है वह अनैतिक और मर्यादा का उल्लंघन करने वाला काम है। जब उनसे पूछा कि क्या भाजपा के इस कदम का उनके गठबंधन पर असर पड़ेगा तो उन्होंने कहा कि हरियाणा में उनकी पार्टी और भाजपा का गठबंधन नहीं है, लेकिन पुराने सहयोगी होने के नाते एक कमिटमेंट रहता है। उन्होंने कहा कि भाजपा का यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण है और वो इसकी निंदा करते हैं।
अगले महीने होंगे हरियाणा में चुनाव
हरियाणा में 21 अक्तूबर को विधानसभा चुनावों के लिए मतदान होगा। 24 अक्तूबर को चुनावों के नतीजे घोषित किए जाएंगे। हरियाणा के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव होंगे।
अपने वादे से पीछे हटी भाजपा- बादल
शिरोमणि अकाली दल ने आरोप लगाया कि भाजपा हरियाणा विधानसभा चुनाव में उसका साथ देने की बात से मुकर गई है। पार्टी ने कहा कि उसने 2019 लोकसभा चुनावों में हरियाणा में भाजपा का साथ दिया था। अब जब भाजपा के पास SAD की मदद करने का मौका था, तब उसने अपने कदम वापस खींच लिए। SAD ने कहा कि हरियाणा की 30 सीटों पर उसका प्रभाव है और वह कई सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
हरियाणा में भाजपा के खिलाफ लड़ती है SAD
SAD दिल्ली और पंजाब में भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ती है, वहीं हरियाणा में वह इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ती आई है। हालांकि, सतलुज यमुना लिंक मामले को लेकर SAD और INLD का गठबंधन टूट गया था। हरियाणा की 90 में से 75 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा फिलहाल हरियाणा में SAD के साथ गठबंधन से बच रही है और इसका फैसला शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ा है।