भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने ली राज्यसभा की शपथ, विपक्ष ने किया वॉकआउट

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने आज राज्यसभा की शपथ ली। उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। गोगोई को राज्यसभा में सीट नंबर 131 दी गई है। इस बीच कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने गोगोई को मनोनीत किए जाने का विरोध करते हुए राज्यसभा से वॉकआउट किया। वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI), DMK और MDMK ने भी गोगोई के नामांकन का विरोध किया।
वहीं केंद्र सरकार ने रंजन गोगोई का समर्थन करते हुए विपक्ष के इस वॉकआउट को गलत बताया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस पर बोलते हुए कहा, "राज्यसभा में पूर्व CJI समेत विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के आने की महान परंपरा है। आज शपथ लेने वाले गोगोई अपना सर्वश्रेष्ठ जरूर देंगे। ऐसा करना (वॉकआउट) बेहद अनुचित था।" इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर ने गोगोई के नामांकन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार देर शाम पूर्व CJI रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत राष्ट्रपति को 245 सदस्यीय राज्यसभा में 12 सदस्य मनोनीत करने का अधिकार मिला हुआ है। राष्ट्रपति साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले लोगों को मनोनीत कर सकते हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब राष्ट्रपति ने किसी पूर्व CJI को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है।
अयोध्या विवाद, राफेल लड़ाकू विमान सौदा और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश जैसे बड़े मामलों में फैसला सुना चुके रंजन गोगोई के राज्यसभा नामांकन पर विपक्ष के तमाम नेताओं ने सवाल खड़े किए थे। विपक्ष ने इसे मोदी सरकार के हित में फैसला सुनाने का इनाम बताया था। वहीं कुछ नेताओं ने गोगोई को उनका ही पुराना बयान याद दिलाया था जिसमें उन्होंने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद कोई पद लेना न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर धब्बा है।
यही नहीं गोगोई के नामांकन स्वीकार करने पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों ने भी सवाल उठाए हैं। जस्टिस मदन लोकुर, एके पटनायक और कुरियन जोसेफ जैसे जजों ने इसे गलत बताते हुए कहा है कि इससे न्यायपालिका की छवि पर असर पड़ेगा।
वहीं रंजन गोगोई ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि उन्होंने नामांकन इसलिए स्वीकार किया क्योंकि उन्हें मानना है कि राष्ट्र निर्माण के लिए न्यायपालिका और संसद को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, "संसद में मेरी मौजूदगी संसद के सामने न्यायपालिका के विचार रखने और उनके विचार जानने का एक मौका होगा।" गोगोई ने ये भी कहा कि उन्होंने नामांकन स्वीकार करने से पहले इस पर गंभीरता से विचार किया था।
बता दें कि रंजन गोगोई भले ही राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत पहले पूर्व CJI हो, लेकिन वे राज्यसभा पहुंचने वाले पहले पूर्व CJI नहीं है। इससे पहले पूर्व CJI रंगनाथ मिश्रा 1998 से 2004 के बीच राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं। उन्हें कांग्रेस ने अपनी टिकट पर राज्यसभा के लिए भेजा था। 1990 में CJI बनने वाले मिश्रा 1991 में अपने रिटायरमेंट के लगभग सात साल बाद कांग्रेस में शामिल हुए थे।