देश के नाम राष्ट्रपति मुर्मू का संबोधन, कहा- आत्मविश्वास से भरा राष्ट्र बन चुका भारत
देश के 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के नाम संबोधन दिया। उन्होंने सभी भारतीयों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी और कहा कि यह देश द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों का उत्सव है। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए अब एक आत्मविश्वास से भरा राष्ट्र बन चुका है। आइये, उनके संबोधन की बड़ी बातें जानते हैं।
विभिन्न पंथों और भाषाओं ने देश को जोड़ा- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "हम सब एक ही हैं और हम सभी भारतीय हैं। इतने सारे पंथों और भाषाओं ने हमें बांटने की जगह जोड़ा है। इसलिए हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए हैं। यही भारत का सार-तत्व है।" उन्होंने कहा, "भारत गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए अब वैश्विक मंच पर एक आत्मविश्वास से भरा राष्ट्र बन चुका है। संविधान निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता के मार्गदर्शन के बिना यह संभव नहीं था।"
"विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उपलब्धियों पर कर सकते हैं गर्व"
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की अपनी उपलब्धियों पर गर्व कर सकते हैं। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत गिने-चुने अग्रणी देशों में से एक रहा है।" उन्होंने कहा, "भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए 'गगनयान' कार्यक्रम प्रगति पर है। यह भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान होगी। हम सितारों तक पहुंचकर भी अपने पैर जमीन पर रखते हैं। यह भारत की दुनिया में अलग पहचान है।"
"महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारा नहीं"
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "महिला सशक्तीकरण तथा महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारा नहीं रहा है। मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं ही आने वाले कल के भारत को स्वरूप देने के लिए अधिकतम योगदान देंगी।"
भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति मुर्मू ने कोरोना वायरस महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी की तारीफ करते हुए कहा, "पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यह उपलब्धि आर्थिक अनिश्चितता से भरी वैश्विक पृष्ठभूमि के बीच हासिल हुई है। कुशल नेतृत्व और प्रभावी संघर्षशीलता के दम पर हम जल्द ही मंदी से बाहर आ गए और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू कर दिया।" उन्होंने कहा कि भारत इसी तरह निरंतर प्रगति करता रहेगा।
"हम हैं शांति और समृद्धि के पक्षधर"
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "इस साल भारत G-20 देशों के समूह की अध्यक्षता कर रहा है। हम सभी की शांति और समृद्धि के पक्षधर हैं। G-20 की अध्यक्षता बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान के लिए भारत को महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है।" उन्होंने आगे कहा, "मेरे विचार से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना शीघ्रता से करना है। विकास और पर्यावरण में संतुलन के लिए प्राचीन परम्पराओं को नई दृष्टि से देखना होगा।"
संयुक्त राष्ट्र ने स्वीकार किया भारत का सुझाव- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भारत के सुझाव को स्वीकार किया है और वर्ष 2023 को 'द इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स' घोषित किया है। यदि अधिक से अधिक लोग मोटे अनाज को भोजन में शामिल करेंगे तो पर्यावरण-संरक्षण में सहायता होगी और लोगों का स्वास्थ्य भी सुधरेगा।" उन्होंने कहा, "मैं किसानों, मजदूरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भूमिकाओं की सराहना करती हूं जिनकी सामूहिक शक्ति देश को आगे बढ़ने में सक्षम बनाती है।"