राष्ट्रपति चुनाव: यशवंत सिन्हा ने दाखिल किया नामांकन, राहुल गांधी समेत कई शीर्ष नेता रहे मौजूद
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने सोमवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (CPM) महासचिव सीताराम येचुरी समेत कई विपक्षी नेता मौजूद रहे। बता दें कि इस चुनाव में उनका मुकाबला सत्तारूढ़ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से होगा और वह पहले ही नामांकन दाखिल कर चुकी हैं।
TRS ने किया यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का ऐलान
इससे पहले सुबह तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का ऐलान किया था। इसके चलते राज्य के मंत्री और TRS नेता केटी रामाराव नामांकन के समय सिन्हा के साथ मौजूद रहे। बता दें कि TRS राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति बनाने के लिए गत दिनों बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में भी शामिल नहीं हुई थी।
पवार और अब्दुल्ला के पीछे हटने के बाद आया था सिन्हा का नाम
बता दें कि विपक्ष ने काफी विचार-विमर्श के बाद यशवंत सिन्हा को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है। विपक्ष ने पहले NCP प्रमुख शरद पवार का नाम सुझाया था, लेकिन उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। उसके बाद TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और गोपालकृष्ण गांधी का नाम सुझाया, लेकिन अब्दुल्ला ने भी अपना नाम वापस ले लिया। उसके बाद बनर्जी ने सिन्हा का नाम आगे किया और उस पर संयुक्त सहमति बनी थी।
समर्थन जाहिर करने के लिए पहुंचे फारूक अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने राष्ट्रपति उम्मीदवार से अपना नाम वापस लेने के बाद विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करने का वादा किया था। ऐसे में उन्होंने सिन्हा के नामांकन के समय मौदजूगी दर्ज करा अपना समर्थन जाहिर कर दिया है।
कैसा रहा है यशवंत सिन्हा का राजनीतिक सफर?
पटना के एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे यशवंत सिन्हा ने अपने पेशेवर करियर की शुरूआत IAS अधिकारी के तौर पर की थी। उन्होंने 26 साल तक इस पद पर अपनी सेवाएं दीं। सिन्हा 1984 में नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गए और जनता पार्टी से बनी विभिन्न पार्टियों से होते हुए भाजपा में पहुंचे। वह 1999-2004 की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पहले वित्त मंत्री और फिर विदेश मंत्री रहे। 2021 में वह तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हुए।
राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए कितने वोट चाहिए?
सभी राज्यों के विधायक और लोकसभा और राज्यसभा सांसद मिलकर राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। राज्यों के हिसाब से विधायकों के वोटों की वैल्यू अलग-अलग होती है, वहीं सांसदों के वोटों की वैल्यू एक समान होती है। राष्ट्रपति चुनाव में पड़ने वाले वोटों की वैल्यू कुल मिलाकर 10.86 लाख होती है और चुनाव जीतने के लिए 5.43 लाख वोट चाहिए। भाजपा, उसके सहयोगियों और समर्थन करने वाली पार्टियों के पास कुल 5.57 लाख वैल्यू के वोट हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में क्या बन रहे हैं समीकरण?
अब तक के समीकरणों से NDA उम्मीदवार मुर्मू की जीत तय मानी जा रही है। कारण है कि NDA को जीत के लिए 13,000 मूल्य के वोटों की आवश्यकता थी और आंध्र प्रदेश की 45,500 मूल्य से अधिक के वोट वाली YSR-कांग्रेस तथा ओडिशा की 31,000 से ज्यादा मूल्य के वोट वाली बीजू जनता दल (BJD) सहित अन्य पार्टियों ने उन्हें समर्थन दे दिया है। ऐसे में मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनने के द्वार पर खड़ी हैं।
अगले महीने है राष्ट्रपति चुनाव
राष्ट्रपति पद के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा और अगर जरूरत पड़ी तो 21 जुलाई को मतगणना की जाएगी। 25 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति शपथ लेंगे। चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून रखी गई है और 30 जून को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। वहीं नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 2 जुलाई होगी। अगर किसी उम्मीदवार के नाम पर सर्वसम्मति नहीं बनती है तो 18 जुलाई को मतदान होगा।