NDA के किन दिग्गज नेताओं को पछाड़कर राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं द्रौपदी मुर्मू?
क्या है खबर?
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित करने के कुछ ही देर बाद भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बना दिया।
उनके नाम का चयन NDA के 20 दिग्गज नेताओं की सूची में से किया गया था।
ऐसे में आइये जानते हैं कि मुर्मू ने किन नेताओं को पछाड़ते हुए राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल की है।
चयन
संसदीय समिति ने किया था मुर्मू के नाम का चयन
नड्डा ने राष्ट्रपति पद के लिए NDA उम्मीदवार के रूप में मुर्मू के नाम का ऐलान करते हुए कहा था कि भाजपा की संसदीय समिति ने गंभीर विचार-विमर्श के बाद 20 नामों में से मुर्मू का चयन किया है। उन्होंने मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए श्रेष्ठ उम्मीदवार बताया था।
संसदीय समिति ने सभी नेताओं से चर्चा करने के बाद पहले 20 नामों की सूची तैयार की थी और उसके पांच नामों में से मुर्मू का चयन किया था।
सफलता
मुर्मू ने किन नेताओं को पछाड़ते हुए हासिल की उम्मीदवारी
द वायर के अनुसार, भाजपा के करीब सूत्र ने बताया कि संसदीय समिति ने शुरुआत में 20 दिग्गज नेताओं के नाम का चयन किया गया था, लेकिन चर्चा के बाद मुर्मू के अलावा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके, हरियाणा के राज्यपाल बंदारू दत्तात्रेय, तथा तेलंगाना की राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन के नाम का चयन किया था।
इसके बाद समिति ने पांच नामों के बीच से मुर्मू के नाम पर मुहर लगाई थी।
कारण
मुर्मू के चयन के पीछे क्या है कारण?
सूत्र के अनुसार, समिति का मानना था कि जब देश में वैज्ञानिक के रूप दिवंगत एपीजे अब्दुल कलाम, महिला के रूप में प्रतिभा पाटिल और अनुसूचित जाति (SC) उम्मीदवार के रूप में रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बन सकते हैं तो एक अनुसूचित जनजाति (ST) की महिला के रूप में मुर्मू का चयन भाजपा के लिए बेहतरीन कदम हो सकता है।
उनके चयन से भाजपा का झारखंड और ओडिशा के साथ तेलंगाना के आदिवासी क्षेत्रों में प्रभाव मजबूत होगा।
जानकारी
मुर्मू के चयन से भाजपा को क्या होगा फायदा?
बता दें कि भाजपा को 2019 के झारखंड चुनावों में हार झेलनी पड़ी थी। इसी तरह ओडिशा में भी प्रभाव कम हो रहा था। ऐसे में मुर्मू के नाम के चयन से इन क्षेत्रों में फिर से भाजपा को मजबूती मिलने की पूरी संभावना रहेगी।
सबसे आगे
सबसे आगे था उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का नाम
सूत्र के अनुसार, संसदीय समिति की सूची में राष्ट्रपति पद के लिए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का नाम सबसे आगे था, लेकिन पार्टी ने उनकी लोकप्रियता पर अपनी निभर्रता को कम करने के लक्ष्य के साथ राजनीति में कम लोकप्रिय मुर्मू को उन पर तरहीज दे दी।
हालांकि, अंतिम सूची में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके के नाम आना सबसे के लिए आश्चर्यचकित था। इसका कारण था कि चयन से पहले उनके नाम की चर्चा तक नहीं थी।
बयान
किसी को भी नहीं थी मुर्मू के नाम की उम्मीद
सूत्र ने कहा, "सभी उम्मीदवार पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में अपना नाम सुनने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अंत में समिति ने मुर्मू का नाम घोषित कर सभी को चकित कर दिया।"
उन्होंने कहा, "अपने नाम की घोषणा के बाद मुर्मू भी चकित रह गई थी, लेकिन बाद में उन्होंने खुशी जताई। किसी को भी इस नाम की उम्मीद नहीं थी, लेकिन इसे भाजपा के महिला ST उम्मीदवार उतारने के इरादे से देखा जा रहा है।"
जानकारी
NSA डोभाल के नाम पर भी हुई थी चर्चा
सूत्र ने कहा कि चर्चा के शुरुआती चरण में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल का भी नाम सामने आया था, लेकिन बाद में 20 नामों की सूची में उनका नाम नहीं आया। हालांकि, इस पर किसी ने कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी।
करियर
मुर्मू ने पार्षद के तौर पर की राजनीतिक करियर की शुरूआत
ओडिशा के मयूरभंज जिले में जन्मी मुर्मू आदिवासी समुदाय से हैं। स्नातक के बाद उन्होंने क्लर्क के तौर पर करियर शुरू किया था।
उन्होंने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद के तौर पर अपनी राजनीतिक शुरूआत की और इस नगर पंचायत की उपाध्यक्ष भी रहीं।
इसके बाद वह 2000 और 2009 में दो बार भाजपा के टिकट पर रायरंगपुर सीट से विधायक चुनी गईं। उन्हें 18 मई, 2015 को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
संघर्ष
कष्टों से भरा रहा मुर्मू का जीवन, पति और दो बेटों की असमय मौत
मुर्मू का निजी जीवन बेहद संघर्षों से भरा रहा है। उनकी शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी, लेकिन कम उम्र में ही उनका निधन हो गया।
दोनों की तीन संतानें थीं, लेकिन इनमें से भी दो बेटों का असमय निधन हो गया। अभी मुर्मू की केवल एक बेटी जिंदा है।
2009 के हलफनामे के अनुसार, उनके पास कोई कार नहीं थी और कुल जमापूंजी नौ लाख रुपये थी। उन पर चार लाख रुपये कर्ज भी था।
जानकारी
अगले महीने है राष्ट्रपति चुनाव
राष्ट्रपति पद के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा और जरूरत पड़ने पर 21 जुलाई को मतगणना होगी। 25 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति शपथ लेंगे। नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून, नामांकन जांच 30 जून और नाम वापसी 2 जुलाई तक होगी।