
#NewsBytesExplainer: कथित पाकिस्तानी लोगों के पास भारतीय मतदाता पत्र, जानें इसे बनवाने के नियम और दस्तावेज
क्या है खबर?
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने को कहा है। इसके बाद कई लोगों ने देश छोड़ दिया है तो कई ने दावा किया है कि वे भारतीय नागरिक हैं और उनके पास आधार कार्ड या मतदाता परिचय पत्र जैसे भारतीय दस्तावेज भी हैं।
ऐसे ही एक शख्स ने तो निर्वासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।
आइए जानते हैं मतदाता परिचय पत्र से जुड़े नियम क्या कहते हैं।
मामले
पहले दस्तावेजों का दावा करने वाले लोगों के बारे में जानिए
समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए ओसामा नामक शख्स ने दावा किया कि वह 2008 में रावलपिंडी से जम्मू और कश्मीर के बारामुल्ला जिले के उरी में चला गया था। उसने कहा कि उसने पाकिस्तानी होने के बावजूद भारत में मतदान किया था।
ये मामला सामने आने के बाद 30 अप्रैल को बारामुल्ला के जिला चुनाव अधिकारी (DEO) के आदेश पर FIR दर्ज कर जांच शुरू की गई है।
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा मामला
बेंगलुरु में नौकरी कर रहे अहमद तारिक बट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। उनका कहना है कि उनके पिता 1997 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) से भारत आए थे। 2000 में परिवार के बाकी सदस्य भी श्रीनगर आ गए।
बट्ट ने दावा किया कि उनके पास भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड जैसे दस्तावेज भी हैं।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बट और उनके परिवार के निर्वासन पर अंतरिम रोक लगा दी है।
नियम
मतदाता पहचान पत्र से जुड़े नियम क्या कहते हैं?
संविधान के अनुच्छेद 326 में कहा गया है कि 18 या इससे ज्यादा उम्र का हर भारतीय नागरिक लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान कर सकता है।
इसके लिए मतदाता पहचान पत्र जरूरी है। नए मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए चुनाव आयोग फॉर्म-6 जारी करता है। इसके साथ आवेदन को आयु और पते के प्रमाण के दस्तावेज देने होते हैं।
हालांकि, आवेदक को नागरिकता से जुड़ा कोई दस्तावेज पेश नहीं करना होता है।
अयोग्यता
किन स्थितियों में अयोग्य ठहराया जा सकता है मतदाता?
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 में ऐसे कारण बताए गए हैं, जिनके चलते किसी व्यक्ति को मतदाता सूची में पंजीकरण के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है।
इसके मुताबिक, जब कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, विक्षिप्त मानसिक स्थिति में है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया गया है या वह चुनावों के संबंध में भ्रष्ट आचरण और अन्य अपराधों से संबंधित किसी कानून के प्रावधानों के तहत मतदान करने से अयोग्य घोषित किया गया है।
नागरिकता
मतदाता का नागरिकता की जांच कैसे की जाती है?
चुनाव आयोग के मैनुअल के अनुसार, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि कोई भी अयोग्य व्यक्ति मतदाता सूची में न जोड़ा जाए।
आमतौर पर अगर किसी नए मतदाता के आवेदन पर कोई आपत्ति नहीं है तो नागरिकता की जांच नहीं होती है।
हालांकि, अगर कोई दावा पेश किया जाता है तो अधिकारी को अन्य बातों के साथ-साथ नागरिकता की जांच भी करनी होता है।
दावा
झूठी जानकारी देने पर क्या कार्रवाई होती है?
फॉर्म-16 में भले ही नागरिकता से जुड़े दस्तावेज नहीं मांगे जाते हो, लेकिन इसमें आवेदक को हस्ताक्षर कर अपनी नागरिकता की घोषणा करनी होती है।
बाद में अगर ये घोषणा झूठी पाई जाती है तो आवेदक को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के अनुसार कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इसके तहत आवेदक को एक साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।