#NewsBytesExplainer: भारत-EU के बीच जल्द हो सकता है FTA, ये क्या होता है और कितना फायदेमंद?
क्या है खबर?
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन 2 दिवसीय दौरे पर भारत आई हुई हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
दोनों नेताओं ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि इस साल के अंत तक भारत और EU के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इससे भारत-EU के संबंधों में नई ऊंचाइयां आएंगी।
आइए जानते हैं कि FTA क्या होता है।
FTA
क्या होता है FTA?
FTA 2 या 2 से ज्यादा देशों के बीच व्यापार को आसान बनाने के लिए किया जाता है।
इसके तहत आयात और निर्यात शुल्क को कम कर या खत्म कर देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बहुत कम या बिना किसी टैरिफ बाधाओं के किया जा सकता है।
इसके अंतर्गत सरकारी शुल्क, कोटा और सब्सिडी जैसे प्रावधान किये जाते हैं। भारत के कई देशों के साथ इस तरह के समझौते हैं।
फायदे
FTA के क्या-क्या फायदे हैं?
FTA से आर्थिक विकास को रफ्तार मिलती है। इससे विदेशी निवेश आकर्षित होता है और स्थानीय श्रमिकों को उच्च वेतन वाली नौकरियां मिलती हैं।
इससे प्रतिस्पर्धी माहौल बनता है, जिससे अंतत: चीजों की कीमतें कम होती हैं।
देश अपने संसाधनों के लिए न्यूनतम मूल्य प्रदान करने की कोशिश करते हैं, इससे निर्माताओं को कम कीमत पर माल मिलता है और उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ती है।
FTA बाजार में विविधता भी लाता है।
नुकसान
FTA के क्या-क्या नुकसान हैं?
FTA से बेरोजगारी बढ़ सकती है। अगर घरेलू उद्योग विदेशी उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ रहें तो बेरोजगारी की समस्या सामने आ सकती है।
इससे वैश्विक बाजारों पर निर्भरता भी बढ़ती है।
FTA का एक संभावित नुकसान ये भी होता है कि जिन देशों में श्रम या पर्यावरण से जुड़े कानून लचीले हैं, बड़े उद्योग वहां जा सकते हैं। इससे श्रमिक या पर्यावरण का दोहन हो सकता है।
देश
भारत का किन देशों के साथ FTA है?
भारत ने श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), मॉरीशस, ASEAN देश और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ इस तरह के समझौते कर रखे हैं।
ब्रिटेन और EU के साथ FTA को लेकर भारत की बातचीत जारी है।
थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, भारत ने पूर्वी देशों से FTA करने के बाद अब अपना ध्यान पश्चिमी देशों पर लगाया है।
व्यापार
भारत-EU के बीच कितना व्यापार होता है?
EU भारत का सबसे बड़ा वस्तु व्यापार साझेदार है। बीते एक दशक में दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 90 प्रतिशत तक बढ़ा है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत-EU के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 12 लाख करोड़ रुपये का था।
EU की करीब 6,000 कंपनियां भारत में काम करती हैं।
भारत में आने वाले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का 16.6 प्रतिशत हिस्सा EU से है। रक्षा, तकनीक जैसे मामलों पर दोनों में अहम साझेदारी है।
कठिनाइयां
EU के साथ FTA को लेकर क्या-क्या कठिनाइयां हैं?
भारत और EU के बीच बीते करीब एक दशक से FTA पर चर्चा चल रही है, लेकिन अभी तक कई मुद्दों पर असहमति है।
विवादित मुद्दों पर भारत द्वारा कुछ क्षेत्रों में टैरिफ कम नहीं करना और EU द्वारा भारतीय पेशेवरों पर वीजा नियमों में ढील नहीं देना जैसे मुद्दे शामिल हैं।
EU चाहता है कि भारत कारों, व्हिस्की और वाइन पर टैरिफ कम करे, जबकि भारत कपड़े, रसायस दवाओं और चमड़े के उत्पादों पर कम टैरिफ चाहता है।