
भारत में प्रत्येक 36 शिशुओं में से एक की पहले साल में हो रही मौत- रिपोर्ट
क्या है खबर?
भारत ने पिछले पांच दशकों में भले ही चिकित्सा क्षेत्र में प्रगति करते हुए शिशु मृत्यु दर पर काबू पाया है, लेकिन आज भी शिशुओं की मौत बड़ा सवाल है।
वर्तमान में प्रत्येक 1,000 शिशुओं में से 28 की मौत एक साल से पहले ही हो जाती है यानी प्रत्येक 36 शिशुओं में से एक की मौत पहले जन्मदिन से पहले हो रही है।
भारत के महापंजीयक द्वारा जारी शिशु मृत्यु दर (IMR) के आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
सवाल
क्या होती है शिशु मृत्यु दर?
शिशु मृत्यु दर यानी IMR एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों के प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर होने वाली मौतों की संख्या को कहा जाता है।
इसमें किसी दिए गए क्षेत्र के लिए एक साल से कम उम्र में मरने वाले बच्चों की संख्या को साल के दौरान जीवित जन्मों की संख्या से विभाजित करके 1,000 से गुणा किया जाता है।
इसके बाद उस क्षेत्र की IMR सामने आती है। भारत ने समय के साथ इसमें सुधार किया है।
सुधार
पांच दशक में काफी कम हुई भारत की IMR
महापंजीयक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, साल 1971 में भारत की IMR 129 थी, जो साल 2020 में बड़े सुधार के साथ 28 पर आ गई है।
पिछले 10 सालों में तो इस IMR में 36 प्रतिशत का सुधार देखने को मिला है। साल 2011 में देश की IMR 44 थी, जो अब 28 पर आ गई है।
ऐसे में कहा जा सकता है कि देश ने चिकित्सा क्षेत्र में बहुत अधिक उन्नति की है।
सबसे ज्यादा
पिछले एक दशक में ग्रामीण क्षेत्रों की IMR में हुआ सबसे अधिक सुधार
आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में ग्रामीण क्षेत्र की IMR में सबसे अधिक सुधार हुआ है। 2011 में ग्रामीण क्षेत्र में 48 पर रहने वाली IMR साल 2020 में 31 पर आ गई।
इसी तरह शहरी क्षेत्रों में 2011 में यह 29 पर थी, जो 2020 में 19 पर आ गई।
पिछले एक दशक में ग्रामीण क्षेत्रों की IMR में 35 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 34 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह देश के लिए बड़ी उपलब्धि है।
परेशानी
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक है IMR
साल 2020 में मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 43 IMR दर्ज की गई है। यानी यहां प्रत्येक 1,000 जन्मे शिशुओं में से 48 की पहले साल में ही मौत हो रही है। ऐसे में यहां प्रत्येक 23 शिशुओं में एक की पहले जन्मदिन से पहले ही मौत हो रही है।
इसी तरह देश में सबसे कम IMR मिजोरम की है। वहां प्रत्येक 1,000 जन्मे शिशुओं में से महज 3 शिशुओं की ही पहले साल में मौत हो रही है।
सुधार
देश की जन्म दर में भी हुआ है सुधार
आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच दशकों में देश की जन्म दर (प्रत्येक 1,000 लोगों पर जन्म की संख्या) में भी बड़ा सुधार देखने को मिला है। साल 1971 में देश की जन्म दर 36.9 थी, जो 2020 में कम होकर 19.5 पर आ गई है।
इसी तरह पिछले एक दशक में जन्म दर में 11 प्रतिशत की गिरावट आई है। साल 2011 में यह 21.8 प्रतिशत थी जो 2020 में 19.5 पर आ गई। यह जनसंख्या नियंत्रण का संकेत है।
कमी
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आई बराबर कमी
रिकॉर्ड के अनुसार, साल 2011 में ग्रामीण क्षेत्रों की जन्म दर 23.3 प्रतिशत थी, जो 2020 में नौ प्रतिशत की गिरावट के साथ 21.1 प्रतिशत पर आ गई है।
इसी तरह शहरी क्षेत्रों में 2011 में यह दर 17.6 प्रतिशत थी, जो 2020 में नौ प्रतिशत की गिरावट के साथ 16.1 प्रतिशत पर आ गई है।
ऐसे में दोनों क्षेत्रों में की जन्म दर में बराबर गिरावट आई है। हालांकि, सरकार इसे और कम करने के लिए प्रयासरत है।