#NewsBytesExplainer: मणिपुर अब 'अशांत क्षेत्र' घोषित; जानें ये क्या होता है और क्या इससे हिंसा रुकेगी
मणिपुर को राज्य सरकार ने सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA) के तहत 6 महीने के लिए 'अशांत क्षेत्र' घोषित कर दिया है। यहां 2 लापता छात्रों की मौत के बाद एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है। घाटी के 19 विशिष्ट पुलिस थाना क्षेत्रों को छोड़कर मणिपुर को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है। आइए जानते हैं कि क्या होता है अशांत क्षेत्र का मतलब और क्या हैं इसके नियम।
क्या होता है अशांत क्षेत्र का मतलब?
किसी भी क्षेत्र को 'अशांत क्षेत्र' AFSPA कानून की धारा-3 के तहत घोषित किया जाता है। किसी भी राज्य या क्षेत्र को अशांत क्षेत्र घोषित करने का अधिकार राज्य या केंद्र सरकार के पास होता है। इस धारा के तहत राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के राज्यपाल अधिसूचना जारी करते हैं, जिससे केंद्र को असैन्य क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को भेजने का अधिकार मिल जाता है। इसके बाद अशांत क्षेत्र में केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात किया जाता है।
किसी क्षेत्र को कब अशांत घोषित किया जाता है?
धार्मिक, नस्लीय, भाषा, क्षेत्रीय समूहों, जातियों, समुदायों के बीच मतभेद या विवाद बढ़ने पर स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए, तब राज्य या केंद्र सरकार उस राज्य या क्षेत्र को अशांत घोषित करती है। आंतरिक सुरक्षा के लिए कोई भी राज्य या क्षेत्र धारा-3 के तहत 6 महीने की अवधि के लिए या आदेश जब तक वापस नहीं लिया जाता, तब तक अशांत क्षेत्र घोषित रहता है। हालातों की समीक्षा के बाद इसे बढ़ाया या हटाया जा सकता है।
अशांत क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को क्या छूट मिलती है?
जब किसी क्षेत्र को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया जाता है तब सशस्त्र बलों को कार्रवाई करने की पूरी छूट दी जाती है। सुरक्षा बल संदेह होने पर किसी भी स्थान की तलाशी ले सकते हैं और कानून तोड़ने वालों पर गोली चलाने का भी उन्हें अधिकार मिल जाता है। सुरक्षा बल बिना किसी वारंट के गिरफ़्तारी कर सकते हैं। बिना वारंट के ही सुरक्षा बल संदेह की स्थिति में घर के अंदर जाकर तलाशी भी ले सकते हैं।
किन राज्यों में हो चुकी है ऐसी घोषणा ?
पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा रोकने के लिए 1 सितंबर, 1958 को AFSPA कानून लागू किया गया था। इसी के तहत हालातों को देखते हुए इन राज्यों के क्षत्रों को अशांत घोषित किया जाता है। पिछले साल मार्च में असम सरकार ने पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित किया था। वर्तमान में गृह मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के कई इलाके अशांत क्षेत्र घोषित किया है। यहां AFSPA कानून को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।
AFSPA कानून क्या है?
AFSPA यानी सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम। इसे ब्रिटिश सरकार ने क्रांतिकारियों के आंदोलनों को कुचलने के लिए लागू किया था। इसके तहत सैन्य बलों को विशेष अधिकार दिए गए। भारत के आजाद होने के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राज्यों की स्थिति को देखते हुए इसे जारी रखने का फैसला लिया। 1958 में एक अध्यादेश के जरिए AFSPA के वर्तमान स्वरूप को लाया गया। संसद की स्वीकृति के बाद सितंबर, 1958 को AFSPA कानून के रूप में लागू हुआ।
न्यूजबाइट्स प्लस
AFSPA के विरोध का सबसे बड़ा नाम इरोम शर्मिला का है। साल 2000 में मणिपुर में 10 लोगों को सैन्य बलों ने गोली मार दी थी। इस घटना के विरोध में इरोम शर्मिला ने 16 साल तक भूख हड़ताल की थी। इसके अलावा 2004 में मणिपुर की थंगजाम मनोरमा की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी, जिसका आरोप सेना के जवानों पर लगा। इस घटना के विरोध में करीब 30 महिलाओं ने नग्न होकर प्रदर्शन किया था।