नागालैंड फायरिंग: AFSPA और अमित शाह के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन, दोषियों पर कार्रवाई की मांग
क्या है खबर?
नागालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की फायरिंग में 14 लोगों की मौत का मामला गरमाता जा रहा है। शनिवार को मोन जिले में बड़ा विरोध प्रदर्शन निकाला गया।
इसमें ग्रामीणों ने नागालैंड से सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA) को हटाने और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लोकसभा में दिए गए बयान को झूठा और मनगढ़ंत बताते हुए उसे वापस लेने और माफी मांगने की मांग की।
इस दौरान ग्रामीणों ने गृह मंत्री का पुतला भी जलाया।
मार्च
प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकालकर जलाया पुतला
सुबह मोन जिले के सैकड़ों ग्रामीणों ने नागा जनजाति 'कोनयाक' के नेतृत्व में पहले तो विरोध मार्च निकाला और फिर उसके बाद गृह मंत्री का पुतला जलाया। इस दौरान ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए।
ग्रामीणों का कहना था कि AFSPA को नगालैंड से तत्काल प्रभाव से हटाया जाना चाहिए। उन्हें आशंका है कि सरकार AFSPA का इस्तेमाल इस मामले में शामिल सैनिकों को बचाने के लिए भी कर सकती है।
बयान
भ्रमित करने वाला है गृह मंत्री का बयान- कोनयाक
नागा जनजाति 'कोनयाक' के उपाध्यक्ष होनांग कोनयाक ने कहा, "हम न्याय मांग रहे हैं... हमें सहानुभूति की जरूरत नहीं है। सच्चाई को छिपाना दुर्भाग्यपूर्ण है। संसद में गृह मंत्री अमित शाह का बयान दुनिया को गलत जानकारी से भ्रमित कर रहा है। उन्हें तुरंत वापस लेना चाहिए। हम उनसे माफी मांगने की मांग करते हैं।"
उन्होंने कहा, "हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक कि मारे गए 14 कोनयाक युवकों को न्याय नहीं मिल जाता।"
वापसी
नागालैंड से AFSPA को हटाया जाए- कोनयाक
उपाध्यक्ष कोनयाक ने कहा कि वह सरकार के सामने पहले ही अपनी पांच मांगे रख चुके हैं। इनमें मामले में तुरंत एक सक्षम जांच एजेंसी के अंतर्गत एक स्वतंत्र जांच समिति बनाई जाए।
इसके अलावा यूनियन ने मामले की जांच के लिए बनाए गए विशेष जांच दल (SIT) में नागा समुदाय के दो सदस्यों को शामिल किया जाना चाहिए। इसी तरह दोषी सैनिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ जल्द से जल्द राज्य से AFSPA हटाया जाए।
पृष्ठभूमि
मोन जिले में क्या हुआ था?
4 दिसंबर को मोन जिले में एक उग्रवाद-रोधी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने तिरू-ओटिंग रोड के पास काम से लौट रहे ग्रामीणों को गलती से उग्रवादी समझ कर उनके वाहन पर फायरिंग कर दी थी।
घटना की जानकारी मिलने पर गुस्साए लोगों ने जवानों पर हमला कर दिया था और अपनी आत्मरक्षा में जवानों को एक बार फिर से फायरिंग करनी पड़ी थी।
इस घटना में कुल 14 ग्रामीण मारे गए थे, वहीं एक जवान की भी मौत हुई।
बयान
गृह मंत्री ने लोकसभा में दिया था यह बयान
लोकसभा में 6 दिसंबर को गृह मंत्री शाह ने इस मामले पर खेद जताते हुए कहा था कि भारतीय सेना को मोन जिले में तिरू गांव के पास उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली थी। इसके आधार पर सेना के 21 पैरा कमांडो की टीम गश्त कर रही थी।
उस दौरान उन्होंने एक वाहन को रुकने का इशारा किया, लेकिन वह रुका नहीं। ऐसे में जवानों ने फायरिंग कर दी। यह पूरी घटना गलत पहचान के कारण घटित हुई है।